वो बच्ची....
दद्दू उसे बुलाती रही
गलत उसकी नजरों को भांपती रही
ताड़ती थी निगाहे उसे
तार तार वो होती रही
कातर नजरे गुहार लगाती रही
शर्मसार इंसानियत रपटे लिखाती रही
धृतराष्ट्र राज करते रहे
हवालातों में पिता मरते रहे
बाहर औलादें सिसकती रही
न जाने किस भरोसे
वो तुफानों से टकराती रही
खेलने खाने के मनमौजी दिनों में वो
जीवन के तीखे तेवरों को
अपनी कम उम्र में पिरोती रही
रग रग, रोम रोम में
साहस को सजाकर
अदना सी होकर खासमखास से पंगा लेती रही
लेकिन.....
रसुखदारों के आगे वो टिक न सकी
उसकी लाखों की इज्जत
दो टके की बनी रही
न जाने कितने शकुनी षड्यंत्रों की
चाल में फंसती रही
हिम्मत न हारकर भी वो
अपनों को खोती रही,पर हर हाल में जुझती रही
न जाने कौन जीता, कौन हारा
खेल बिगड़ा, पासा पलटा
अब अपनी ही सांसों से वो जुझ रही
हर रोज सुबह की सैर मुझे पूरे दिन के लिये शारीरिक मानसिक रूप से तरोताजा करती है। सैर के बाद हम एक भैयाजी के पास गाजर, बीट, हल्दी, आंवला ,अदरक और पोदीने का जूस पीते है, जिसकी मिक्सिंग हमारे अनुसार होती है। हम उनके सबसे पहले वाले ग्राहक होते है , कभी कभी हम इतना जल्दी पहूंच जाते है कि उन्होने सिर्फ अपना सब सामान सैट किया होता है लेकिन जूस तैयार करने में उन्हे पंद्रह मिनिट लग जाते है, जल्दबाजी में नही होती हूँ तो मैं जूस पीकर ही आती हूँ, वैसे आना भी चाहू तो वो आने नहीं देते , दो मिनिट में हो जायेगा कहकर, बहला फुसला कर पिलाकर ही भेजते है। उनकी अफरा तफरी और खुशी दोनो देखने लायक होती है। आज सुबह भी कुछ ऐसा ही था, हम जल्दी पहूंच गये और उन्होने जस्ट सब सैट ही किया था , मैं भी जल्दबाजी में थी क्योकि घर आकर शगुन का नाश्ता टीफिन दोनों बनाना था। हमने कहां कि आज तो लेट हो जायेगा आपको, हम कल आते है लेकिन भैयाजी कहाँ मानने वाले थे । उन्होने कहा कि नयी मशीन लाये है , आपको आज तो पीकर ही जाना होगा, अभी बनाकर देते है। मुझे सच में देर हो रही थी लेकिन फिर भी उनके आग्रह को मना न कर स...
टिप्पणियाँ
पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'