वो बच्ची....
दद्दू उसे बुलाती रही
गलत उसकी नजरों को भांपती रही
ताड़ती थी निगाहे उसे
तार तार वो होती रही
कातर नजरे गुहार लगाती रही
शर्मसार इंसानियत रपटे लिखाती रही
धृतराष्ट्र राज करते रहे
हवालातों में पिता मरते रहे
बाहर औलादें सिसकती रही
न जाने किस भरोसे
वो तुफानों से टकराती रही
खेलने खाने के मनमौजी दिनों में वो
जीवन के तीखे तेवरों को
अपनी कम उम्र में पिरोती रही
रग रग, रोम रोम में
साहस को सजाकर
अदना सी होकर खासमखास से पंगा लेती रही
लेकिन.....
रसुखदारों के आगे वो टिक न सकी
उसकी लाखों की इज्जत
दो टके की बनी रही
न जाने कितने शकुनी षड्यंत्रों की
चाल में फंसती रही
हिम्मत न हारकर भी वो
अपनों को खोती रही,पर हर हाल में जुझती रही
न जाने कौन जीता, कौन हारा
खेल बिगड़ा, पासा पलटा
अब अपनी ही सांसों से वो जुझ रही
ये एक बड़ा सा पौधा था जो Airbnb के हमारे घर के कई और पौधों में से एक था। हालांकि हमे इन पौधों की देखभाल के लिये कोई हिदायत नहीं दी गयी थी लेकिन हम सबको पता था कि उन्हे देखभाल की जरुरत है । इसी के चलते मैंने सभी पौधों में थोड़ा थोड़ा पानी डाला क्योकि इनडोर प्लांटस् को अधिक पानी की आवश्यकता नहीं होती और एक बार डाला पानी पंद्रह दिन तक चल जाता है। मैं पौधों को पानी देकर बेफिक्र हो गयी। दूसरी तरफ यही बात घर के अन्य दो सदस्यों ने भी सोची और देखभाल के चलते सभी पौधों में अलग अलग समय पर पानी दे दिया। इनडोर प्लांटस् को तीन बार पानी मिल गया जो उनकी जरुरत से कही अधिक था लेकिन यह बात हमे तुरंत पता न लगी, हम तीन लोग तो खुश थे पौधों को पानी देकर। दो तीन दिन बाद हमने नोटिस किया कि बड़े वाले पौधे के सभी पत्ते नीचे की ओर लटक गये, हम सभी उदास हो गये और तब पता लगा कि हम तीन लोगों ने बिना एक दूसरे को बताये पौधों में पानी दे दिया। हमे समझ नहीं आ रहा था कि क्या करे, बस सख्त हिदायत दी कि अब पानी बिल्कुल नहीं देना है। खिलखिलाते...
टिप्पणियाँ
पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'