क्या आसान है प्रेम को समझ पाना
शायद नहीं....
पर मुश्किल भी नहीं, लेकिन
इसकी परिभाषा इतनी गहन बना दी गई है कि
साधारण इंसान समझ ही न पाये
असल में प्रेम परिभाषाओं के परे है
बस महसूस कर पाने की अवस्था है
अगर एक बार आपने
चख लिया इसका स्वाद
तो आप जीवन भर के लिये प्रेम को पा लेते है
बस, अनुभूत करने की आपकी क्षमता ऐसी हो
जो आपकी कल्पनाओं से भी बाहर हो
कोई भी युगल
पति-पत्नी हो या प्रेमी-प्रेमिका
धीमे धीमे वक्त के पहियों पर चलते हुए
प्रेम मे रहते हुए
एक न एक दिन
माँ बेटे सा ताना बाना बुन ही लेते है
वे सुलझा लेते है प्रेम की गूढ़ गुत्थियां
और पहूँच जाते है
आध्यात्मिकता के सर्वोच्च पायदान पर
बस इतना ही तो है प्रेम
पर बिना चखे कैसे मानोगे
बिना जीये कैसे जानोगे
प्रेम में खोकर ही तो प्रेम पाओगे
ये वो पक्का रंग है
जो छूटता नहीं है
वो रमता है बस धूनी की तरह
हर रोज सुबह की सैर मुझे पूरे दिन के लिये शारीरिक मानसिक रूप से तरोताजा करती है। सैर के बाद हम एक भैयाजी के पास गाजर, बीट, हल्दी, आंवला ,अदरक और पोदीने का जूस पीते है, जिसकी मिक्सिंग हमारे अनुसार होती है। हम उनके सबसे पहले वाले ग्राहक होते है , कभी कभी हम इतना जल्दी पहूंच जाते है कि उन्होने सिर्फ अपना सब सामान सैट किया होता है लेकिन जूस तैयार करने में उन्हे पंद्रह मिनिट लग जाते है, जल्दबाजी में नही होती हूँ तो मैं जूस पीकर ही आती हूँ, वैसे आना भी चाहू तो वो आने नहीं देते , दो मिनिट में हो जायेगा कहकर, बहला फुसला कर पिलाकर ही भेजते है। उनकी अफरा तफरी और खुशी दोनो देखने लायक होती है। आज सुबह भी कुछ ऐसा ही था, हम जल्दी पहूंच गये और उन्होने जस्ट सब सैट ही किया था , मैं भी जल्दबाजी में थी क्योकि घर आकर शगुन का नाश्ता टीफिन दोनों बनाना था। हमने कहां कि आज तो लेट हो जायेगा आपको, हम कल आते है लेकिन भैयाजी कहाँ मानने वाले थे । उन्होने कहा कि नयी मशीन लाये है , आपको आज तो पीकर ही जाना होगा, अभी बनाकर देते है। मुझे सच में देर हो रही थी लेकिन फिर भी उनके आग्रह को मना न कर स...
टिप्पणियाँ
बिना जीये कैसे जानोगे
प्रेम में खोकर ही तो प्रेम पाओगे
ये वो पक्का रंग है ....
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क्या बात है!बहुत ही सुंदर और सार्थक रचना। आपको बधाई। सादर।
राम नवनवमी की हार्दिक शुभकामनाएं 🙏
रामनवमी की हार्दिक शुभकामनाएं🙏
वाह बहुत सुंदर /अनुपम।