क्या आसान है प्रेम को समझ पाना
शायद नहीं....
पर मुश्किल भी नहीं, लेकिन
इसकी परिभाषा इतनी गहन बना दी गई है कि
साधारण इंसान समझ ही न पाये
असल में प्रेम परिभाषाओं के परे है
बस महसूस कर पाने की अवस्था है
अगर एक बार आपने
चख लिया इसका स्वाद
तो आप जीवन भर के लिये प्रेम को पा लेते है
बस, अनुभूत करने की आपकी क्षमता ऐसी हो
जो आपकी कल्पनाओं से भी बाहर हो
कोई भी युगल
पति-पत्नी हो या प्रेमी-प्रेमिका
धीमे धीमे वक्त के पहियों पर चलते हुए
प्रेम मे रहते हुए
एक न एक दिन
माँ बेटे सा ताना बाना बुन ही लेते है
वे सुलझा लेते है प्रेम की गूढ़ गुत्थियां
और पहूँच जाते है
आध्यात्मिकता के सर्वोच्च पायदान पर
बस इतना ही तो है प्रेम
पर बिना चखे कैसे मानोगे
बिना जीये कैसे जानोगे
प्रेम में खोकर ही तो प्रेम पाओगे
ये वो पक्का रंग है
जो छूटता नहीं है
वो रमता है बस धूनी की तरह
ये एक बड़ा सा पौधा था जो Airbnb के हमारे घर के कई और पौधों में से एक था। हालांकि हमे इन पौधों की देखभाल के लिये कोई हिदायत नहीं दी गयी थी लेकिन हम सबको पता था कि उन्हे देखभाल की जरुरत है । इसी के चलते मैंने सभी पौधों में थोड़ा थोड़ा पानी डाला क्योकि इनडोर प्लांटस् को अधिक पानी की आवश्यकता नहीं होती और एक बार डाला पानी पंद्रह दिन तक चल जाता है। मैं पौधों को पानी देकर बेफिक्र हो गयी। दूसरी तरफ यही बात घर के अन्य दो सदस्यों ने भी सोची और देखभाल के चलते सभी पौधों में अलग अलग समय पर पानी दे दिया। इनडोर प्लांटस् को तीन बार पानी मिल गया जो उनकी जरुरत से कही अधिक था लेकिन यह बात हमे तुरंत पता न लगी, हम तीन लोग तो खुश थे पौधों को पानी देकर। दो तीन दिन बाद हमने नोटिस किया कि बड़े वाले पौधे के सभी पत्ते नीचे की ओर लटक गये, हम सभी उदास हो गये और तब पता लगा कि हम तीन लोगों ने बिना एक दूसरे को बताये पौधों में पानी दे दिया। हमे समझ नहीं आ रहा था कि क्या करे, बस सख्त हिदायत दी कि अब पानी बिल्कुल नहीं देना है। खिलखिलाते...
टिप्पणियाँ
बिना जीये कैसे जानोगे
प्रेम में खोकर ही तो प्रेम पाओगे
ये वो पक्का रंग है ....
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क्या बात है!बहुत ही सुंदर और सार्थक रचना। आपको बधाई। सादर।
राम नवनवमी की हार्दिक शुभकामनाएं 🙏
रामनवमी की हार्दिक शुभकामनाएं🙏
वाह बहुत सुंदर /अनुपम।