मै अभी mcleodganj में हूँ ।मैक्लॉडगंज वह जगह है, जहां पर 1959 में बौद्ध धर्मगुरु दलाई लामा अपने हजारों अनुयाइयों के साथ तिब्बत से आकर बसे थे,इसी वजह से यह स्थान पूरे विश्व में प्रसिद्ध है और मुझे यह कहते हुए बहुत फख्र महसूस हो रहा है कि बुद्ध धर्म के 14वें दलाई लामा का यहाँ आधिकारिक निवास स्थान है ।
कल से मैं यहाँ हर तरफ विदेशी सैलानियों को देख रही हूँ और सही पूछे तो वे सैलानी लग ही नहीं रहे, ऐसा लग रहा जैसे यही रच बस गये हो....... हम यहाँ की गलियों में थोड़ा घूमने निकले तो देखा कि ये विदेशी यहाँ की संस्कृति में जैसे पिरो दिये गये हो...... लंबी गोरी चिट्टी लड़कियाँ और लंबे बालों और दाढ़ी वाले लड़के ढ़ीले पाजामों में तंबूरा लटका कर चलते मिले तो कही दुकानों पर पालथी लगा कर कुछ गूर सीखते मिले...... कही रंगों का समायोजन कर रहे थे तो कही योग की जिज्ञासा में खोये।
यह देख कर मुझे अपनी समृद्ध आध्यात्मिक संस्कृति पर गर्व हो आया क्योकि विदेशों से ये सैलानी सिर्फ़ इसलिए यहां आते है कि वे यहां के आध्यात्मिक परिवेश को समझ सकें,और वे महीनो महीनो यहाँ रुके रहते है...... सोचिये, कैसी सम्माननीय बात है हमारे लिये 😍
हम यहाँ दलाईलामा को तो न देख सके, लेकिन उनके जैसे ही बहुत से लामा, लाल कपड़ो में हमे हमारे आस पास घूमते दिखे।
कुल मिलाकर घुमने से ज्यादा मुझे तो यह रमने वाला स्थान लगा..... मुझे अध्यात्म,पहाड़ और पत्थर हमेशा अपनी ओर खिंचते है लेकिन जिम्मेदारीयाँ इस मार्ग पर जाने न देती..... लेकिन ऐसे जिज्ञासुओं को देखकर भी मुझे सुकून मिलता है 😍
ये एक बड़ा सा पौधा था जो Airbnb के हमारे घर के कई और पौधों में से एक था। हालांकि हमे इन पौधों की देखभाल के लिये कोई हिदायत नहीं दी गयी थी लेकिन हम सबको पता था कि उन्हे देखभाल की जरुरत है । इसी के चलते मैंने सभी पौधों में थोड़ा थोड़ा पानी डाला क्योकि इनडोर प्लांटस् को अधिक पानी की आवश्यकता नहीं होती और एक बार डाला पानी पंद्रह दिन तक चल जाता है। मैं पौधों को पानी देकर बेफिक्र हो गयी। दूसरी तरफ यही बात घर के अन्य दो सदस्यों ने भी सोची और देखभाल के चलते सभी पौधों में अलग अलग समय पर पानी दे दिया। इनडोर प्लांटस् को तीन बार पानी मिल गया जो उनकी जरुरत से कही अधिक था लेकिन यह बात हमे तुरंत पता न लगी, हम तीन लोग तो खुश थे पौधों को पानी देकर। दो तीन दिन बाद हमने नोटिस किया कि बड़े वाले पौधे के सभी पत्ते नीचे की ओर लटक गये, हम सभी उदास हो गये और तब पता लगा कि हम तीन लोगों ने बिना एक दूसरे को बताये पौधों में पानी दे दिया। हमे समझ नहीं आ रहा था कि क्या करे, बस सख्त हिदायत दी कि अब पानी बिल्कुल नहीं देना है। खिलखिलाते...
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