ऑडीबल पर किताब सुन रही हूँ । who will cry when you die ? का हिंदी अनुवाद है यह ।
आज इसी का एक चैप्टर सुन रही थी, उसमे एक कमाल की बात आयी जो मैं आप लोगो के साथ शेयर करना चाहूंगी।
यह बात लाइट हाउस के बूढ़े कर्मचारी के बारे में है । उस वृद्ध व्यक्ति के पास अपनी मशाल को जलाये रखने के लिये कम तेल था। मशाल जलाये रखकर वह आने जाने वाले जहाजों को चट्टानी समुद्र तट से बचने के लिये आगाह करता रहता था। एक रात किसी व्यक्ति को अपने घर का दिया जलाने तेल की जरुरत पड़ी तो लाइट हाउस के कर्मचारी ने अपने तेल में से थोड़ा तेल उसे दे दिया । उसके कुछ समय बाद एक यात्री ने अपनी यात्रा जारी रखने के लिये कर्मचारी से तेल देने का अनुरोध किया। दयालू कर्मचारी ने उसकी भी प्रार्थना स्वीकार कर ली और थोड़ा तेल उसे दे दिया । अगली रात उसकी नींद एक माँ के दरवाज़ा खटखटाने से खुली, उसने थोड़े से तेल की प्रार्थना की ताकि घर जाकर अपने बच्चों के लिये खाना पका सके....कर्मचारी फिर से प्रार्थना को मान लिया और जल्दी ही सारा तेल समाप्त हो गया और उसकी मशाल बुझ गयी, कई जहाज डुब गये और बहुत सी जिंदगियां खत्म हो गयी.....क्योकि लाइट हाउस का रक्षक अपनी प्रधानताओं को भुल गया था। उसने अपने सबसे प्राथमिक कर्तव्य की अवहेलना की।
आपको तय करना होता है कि आपकी प्राथमिकता क्या है ?
यहाँ एक बात मैं अपनी ओर से जोड़ना चाहूँगी कि आपकी हँसी आपकी खुशी आपकी प्राथमिकता है ....मेरा तात्पर्य यह कतई नहीं है कि आप सेल्फ सेंटर्ड हो जाये । मेरा मंतव्य यही है कि अपनी हँसी खुशी की उम्मीद किसी ओर से न करे....वो किसी अन्य व्यक्ति की प्राथमिकता नहीं हो सकती । आज #worldsmileday पर मैं आप सभी से यही कहूंगी कि अपने लिये हंसना सीखे, अपने को वैल्यू करे, खुद का सम्मान करे....खुद को मजबूत रखकर दुसरों के साथ खड़े हो ।
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