अवसाद.....जो मस्तिष्क की नहीं मन की बीमारी है, जो पागलपन नहीं मन की एक अवस्था है । जिसे दवाइयों से अधिक एक साथ की जरुरत होती है, हालांकि गंभीरता को देखते हुए दवाइयां अधिक कारगर होती है, लेकिन इसे हौव्वा बनाकर नहीं देखना चाहिए।
हम सब किसी न किसी वक्त मानसिक असंतुलन के दौर से निकले होते है और ऐसा भी नहीं है कि यह असफलता से निकल कर आता है .....ये बड़े गर्व से किसी की सफलता के साथ भी चुपके से प्रवेश कर जाता है और ऐसे में सोसायटी आश्चर्य करती है कि अरे इतने समझदार सफल व्यक्ति के जीवन में यह कैसे घटित हुआ.....बस, हमे जरुरत है इन आश्चर्यचकित बरौनियां चढ़े चेहरों को दरकिनार करने की । अवसाद, मन की एक अस्थायी अवस्था है जो हममे से किसी के भी जीवन में यकायक आ सकती है। हम कारण ढ़ूंढ़ने में लगे रहते है और निदान मुश्किल हो जाता है ।
कई बार यह दबी इच्छाओं का आकलन होता है तो कई बार एक भावुक मन का अपराधबोध..... यह किसी भी काम की अति हो सकता है....यह जीवन की एकरसता हो सकता है.......यह निहायत कंफर्ट जोन हो सकता है.....यह अत्यधिक खुशी भी हो सकता है......यह किसी पर निर्भरता हो सकता है ...यह आसक्ति हो सकता है....ऐसी ही अस्थायी मनस्थिति का नाम अवसाद है। यह स्थायी रुप से डेरा न जमाये, हमे यह प्रयास करना होता है।
1. अपना आकलन स्वयं करते रहे।
2. विभोरता और उन्माद को खुद पर हावी न होने दे।
3. नकारात्मकता से दूर रहे।
4. एक शौक अवश्य रखे।
5. एक कला सीखे और बिना किसी से तुलना , अपने काम को पसंद करे
6. खुशी को स्वभाव बनाये...लेकिन संवेदनाओं को दबाये नहीं।
7. अवसाद के दौरान हम फुल ऑफ इमोशंस होते है और बहुत कुछ अतुलनीय रच सकते है, बस उन्हे सही दिशा की जरुरत होती है।
8. निस्वार्थ किसी की मदद करे।
9. हरेक तनाव का नाम अवसाद नहीं है।
10. अपने तनाव को लेकर गुगल कदापि न करे...गुगल बाबा भ्रमित करेंगे।
11. समस्या को लेकर सजग रहे लेकिन अतिसतर्कता के चलते आप ओवरथिंकिंग करने लगते है ....जो कतई कारगर नहीं है....कई बार अज्ञानता हमे बहुत सी दुसाध्य चीजों से बचाये रखती है
12. अपनी अज्ञानता का आनंद ले
मेरा व्यक्तिगत अनुभव है कि हरेक भावुक क्षण आपको पहले से बेहतर बनाता है, आपकी कार्यक्षमता, आपका नजरिया, जीवन के प्रति आपका दृष्टिकोण पहले से मुखर हो जाता है । अवसाद आपको आपसे मिलने का मौका देता है , आप एकांत को महसूसते है....अगर यह आपकी राह में आ गया है तो स्वीकार करे और हाथ मिलाकर आगे बढ़े....देखे कि जिंदगी गले मिलने आतुर है।
खुश रहे और सीमित दायरों में आत्ममुग्ध बने रहे 😍😍
टिप्पणियाँ