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जीवन यात्रा

लगभग दस दिन अपने गाँव में गुजार कर अब हम फिर से चिकने चौड़े चमकते सड़क मार्ग से अपने शहर की ओर है।शानदार नेशनल हाईवे पर आवागमन पहले जैसा ही है, ट्रैफिक भी हमेशा की तरह ही है और हर तरह की छोटी बड़ी गाड़ी सड़क को चिपकती हुई सी कभी आगे स्पीड में निकल जाती है तो कभी किसी को आगे निकल जाने देती है। बड़े ट्रक भी इन सब के साथ ताल मिला रहे है। यहाँ जो धीरे चल रहा है वो साइड में होकर पीछे तेज गति से आ रहे वाहन को आगे निकलने देता है। कोई भी किसी का रास्ता रोकता नहीं है....सब अपनी अपनी गति में चले जा रहे है। देखा जाये तो यह कितनी सुंदर और संतुलित बात है और इसी वजह से आवागमन सुचारू रूप से चालु है। 
         सोच कर देखिये अगर यही बात जीवन में भी लागु हो जाये तो कितना अच्छा हो। जिसकी गति तेज हो , उसे हम आगे बढ़ने जगह दे दे । कोई हमसे आगे निकल जाये तो हमे हर्ट न हो। बिना ईगो बीच में लाये हम साइड में हो जाये। अगर हमारी स्पीड अधिक है तो हमे भी आगे बढ़ने से रोका न जाये । कोई किसी की राह में रुकावट न बने। सबकी स्पीड अनुसार उन्हे जगह और सम्मान मिले।  सबको यह क्लियर रहे कि हमेशा हम ही आगे या सबसे पहले नहीं रहने वाले....कभी हम सबसे आगे भी हो सकते है कभी सबसे पीछे भी। सबका लक्ष्य गंतव्य तक पहूँचना ही है। आगे पीछे को लेकर सहज रहे...जीवन एक यात्रा है दौड़ नहीं। अगर दौड़ मानकर सब भागना शुरु कर देंगे तो दुर्घटना स्वाभाविक है । 
         इस यात्रा का आनंद ले ....मंजिल तक तो देर सवेर पहूँचना ही है। आस पास की सब बातें हमे जीना सीखाती है।

टिप्पणियाँ

Kiran Jangir ने कहा…
जिंदगी की लय भी इसी में है।

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उम्मीद

लाख उजड़ा हो चमन एक कली को तुम्हारा इंतजार होगा खो जायेगी जब सब राहे उम्मीद की किरण से सजा एक रास्ता तुम्हे तकेगा तुम्हे पता भी न होगा  अंधेरों के बीच  कब कैसे  एक नया चिराग रोशन होगा सूख जाये चाहे कितना मन का उपवन एक कोना हमेशा बसंत होगा 

मन का पौधा

मन एक छोटे से पौधें की तरह होता है वो उंमुक्तता से झुमता है बशर्ते कि उसे संयमित अनुपात में वो सब मिले जो जरुरी है  उसके विकास के लिये जड़े फैलाने से कही ज्यादा जरुरी है उसका हर पल खिलना, मुस्कुराना मेरे घर में ऐसा ही एक पौधा है जो बिल्कुल मन जैसा है मुट्ठी भर मिट्टी में भी खुद को सशक्त रखता है उसकी जड़े फैली नहीं है नाजुक होते हुए भी मजबूत है उसके आस पास खुशियों के दो चार अंकुरण और भी है ये मन का पौधा है इसके फैलाव  इसकी जड़ों से इसे मत आंको क्योकि मैंने देखा है बरगदों को धराशायी होते हुए  जड़ों से उखड़ते हुए 

सीख जीवन की

ये एक बड़ा सा पौधा था जो Airbnb के हमारे घर के कई और पौधों में से एक था। हालांकि हमे इन पौधों की देखभाल के लिये कोई हिदायत नहीं दी गयी थी लेकिन हम सबको पता था कि उन्हे देखभाल की जरुरत है । इसी के चलते मैंने सभी पौधों में थोड़ा थोड़ा पानी डाला क्योकि इनडोर प्लांटस् को अधिक पानी की आवश्यकता नहीं होती और एक बार डाला पानी पंद्रह दिन तक चल जाता है। मैं पौधों को पानी देकर बेफिक्र हो गयी। दूसरी तरफ यही बात घर के अन्य दो सदस्यों ने भी सोची और देखभाल के चलते सभी पौधों में अलग अलग समय पर पानी दे दिया। इनडोर प्लांटस् को तीन बार पानी मिल गया जो उनकी जरुरत से कही अधिक था लेकिन यह बात हमे तुरंत पता न लगी, हम तीन लोग तो खुश थे पौधों को पानी देकर।      दो तीन दिन बाद हमने नोटिस किया कि बड़े वाले पौधे के सभी पत्ते नीचे की ओर लटक गये, हम सभी उदास हो गये और तब पता लगा कि हम तीन लोगों ने बिना एक दूसरे को बताये पौधों में पानी दे दिया।       हमे समझ नहीं आ रहा था कि क्या करे, बस सख्त हिदायत दी कि अब पानी बिल्कुल नहीं देना है।      खिलखिलाते...