लगभग साल डेढ़ साल पहले की बात है, मैंने इंस्टा पर एक नया अकाउंट बनाया था । आत्मविश्वासी महिलाओं , क्रियेटिव ज्वैलरी और हैंडलूम साड़ीयों को यहाँ मैं फॉलो किया करती थी। रोज कुछ नया तलाशती रहती थी। ऐसे में एक दिन स्क्रॉल करते हुए नजरे ठहर गयी.....चाँदी की ज्वैलरी का एक बड़ा पेज । खुबसूरत शब्दों में ढ़ली ज्वैलरी और ज्वैलरी भी ऐसी कि हर पीस मन को भा जाये। मैंने तीन पीस सलेक्ट कर मंगाये। उनके आने पर मैंने पिक क्लिक कर पोस्ट डाली....पिक में मेरे हाथ का टेटू था। ज्वैलरी के साथ टेटू की भी तारीफ हुई । फिर बात आयी गयी हुई ।
एक दो बार पेज की ऑनर दिव्या से थोड़ी बहुत बात हुई । एक उच्च स्तरीय व्यक्तित्व और एक माँ के रुप में वो मुझे बहुत पसंद आयी। पता नहीं क्यो, बच्चों की परवरिश के तौर तरीकों को देखते हुए मैं अक्सर उन माँओं से प्रभावित होती हूँ तो मदरहुड एंजोय करती है ....दिव्या उन्ही चुनिंदा लोगो में से एक है । खैर....हमारी बात थोड़ी और हुई, मेरी कला और शब्दों ने कही न कही दिव्या को छूआ। दिव्या को मेरा पेननेम "आत्ममुग्धा" बहुत पसंद आया और उसने कहा कि मैं इस नाम का कुछ बनाऊँगी और पहला पीस आपको देना चाहूँगी । मैं खुशी से उछल पड़ी, एकबारगी तो यकीन ही न हुआ। यह सम्मान की बात थी मेरे लिये , एक स्थापित ब्रांड ज्वैलरी पेज की ओर से।
खैर....बात फिर आयी गयी हुई....मैं सोशियल मीडिया से पूरी तरह गायब हो गयी और इस बात को तो लगभग भूल ही गयी थी । लॉकडाउन के दौरान अपने लेखन और कला में रम गयी थी फिर एक दिन अचानक अपना एक अकाउंट ओपन किया और अपने सभी पसंदीदा अकाउंट को तलाशने लगी। quirksmithjewellery पर गयी और उनके बनाये नये पीस देखने लगी कि अचानक 'आत्ममुग्ध' दिखा। पूरी पोस्ट को पढ़ा, मुझे मेंशन किया गया था । मैं खुशी में स्तब्ध थी । दिल में इतनी नरमी पसर गयी कि वो घुलने लगा। मैंने तत्काल दिव्या को मैसेज किया और उसने तुरंत जवाब दिया और कहा कि पहला पीस आपके लिये । उस पीस के गहन मायने मेरे लिये, जिसके लिये महज शुक्रिया पर्याप्त नहीं लेकिन उससे भी अधिक एक सूक्ष्म सी बात मुझे हद प्रभावित कर गयी और मैंने ये पोस्ट लिखी।
मेरा इस पोस्ट को लिखने का मकसद ये नहीं कि इतने बड़े पेज से मुझे मान मिला । अहम बात यह है कि अपनी बात के खरे लोग आज भी है । असल में ही नहीं बल्कि इस आभासी दुनिया में भी ।
मैं लगभग भूल चुकी थी, इंस्टा से गायब भी थी छ: सात महीने.....फिर भी याद रखा गया, वादा निभाया गया।
सादर नमस्कार ,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (21 -7 -2020 ) को शब्द ही शिव हैं( चर्चा अंक 3769) पर भी होगी,
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
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कामिनी सिन्हा
शुक्रिया
हटाएंसही कहा आपने अपनी जबान के खरे लोग अभी भी है ।बहुत ही अच्छा लगा आप का कोना पढ़कर ।
जवाब देंहटाएंसादर आभार
आभार मेरा उत्साह बढ़ाने के लिये
हटाएंआज भी ऐसे ही खरे लोगों के दम पर दुनिया टिकी हुई है। बहुत सुंदर संस्मरण।
जवाब देंहटाएंशुक्रिया
हटाएंसुंदर संस्मरण
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
हटाएंसुन्दर संस्मरण
जवाब देंहटाएंआभार
हटाएं......
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" बुधवार 22 जुलाई 2020 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
बेहद शुक्रिया
हटाएंवाह!बहुत खूब !जबान के खरे लोग हैं इस दुनियाँँ में ...💐💐बहुत खुशी हुई आत्ममुग्धा से मिलकर 🙏
जवाब देंहटाएंजी शुक्रिया.... आपका स्वागत है यहां
हटाएंआत्ममुग्धा जी सचमुच ये वाकया हमें भी आत्ममुग्ध कर गया। दुनिया सही मायने में ऐसे ही प्रतिबद्ध लोगों के कारण दुनिया है नहीं तो आज के हालात सब के सामने है।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर घटना उससे भी सुंदर आपने पेश किया ।
वाह!!
आपकी ऐसी टिप्पणियां मुझे और मुग्ध कर देती है....दिल से शुक्रिया
हटाएंबहुत शुक्रिया संगीता ! इतना भर गयी हूँ, आंखें, दिल, सब भर गया, ऐसा भेदा है आपके शब्दों ने.
जवाब देंहटाएंफिर से कहूँगी.....जड़े जमाते हुए आसमान मापती रहो.....अपनी स्वाभाविकता मौलिकता को यूँ ही संजोये रखना.....इतने स्नेह प्यार के बदले दूलार तुम्हे
हटाएंदुनिया चाहे आभासी हो या असल टिकी हुई ही इन चंद खरे लोगों से है जो आज भी दुनिया को रहने लायक बनाए हुए हैं....
जवाब देंहटाएंतुम भी इन्हीं चंद लोगों में हो दोस्त ❤