एक राह के बाद
हर दूसरी राह को पकड़ते हुए
क्या कभी सोचा है तुमने ?
देखा है पीछे मुड़कर
उस छूटी हुई राह को
या
लौट कर आये हो कभी
उसी जानी पहचानी राह पर
या
कोई अदृश्य हाथ
हर बार ले गया तुम्हे
आगे बढ़ती हर राह पर
या
मंजिल तक पहूँच कर
फिर दोराहे पर पहूँचे हो तुम
कोल्हू के बैल की तरह
घूम घूमकर वही अटके हो तुम
या
बाधादौड़ की तरह दौड़ते हुए
हर बाधा को पार किया है तुमने
अपने हौसलों को आसमां दिया है तुमने
या
बैठ गये हो थक हार कर
उसी राह पर
जहाँ से चले थे
या
जूनून अभी भी बाकी है
बाकी है तुम्हारे हिस्से की राहे
उसके ऊपर का आसमान
या
देख रहे हो बाट किस्मत की
हाथ पर हाथ धरे
गर हो किसी चमत्कार की उम्मीद में
तो सुनो तुम
ये जो ज़िंदगी है ना
ऊँट की करवट है
इससे ना उम्मीद रखना
ना ही मनमाफिक़ सपनों से तोलना
जिस करवट बैठाये
उसी करवट अपना कारवां बना लेना
इसके थपेड़ों से डरना मत
ये हर बार गले नहीं लगाती
ये परखेगी तुम्हें
मापेंगी तुम्हें
तुम्हे खरा सोना बनायेगी
इसके साथ के बहाव में
हर बार बह जाना
अपने तुफानों को
अपने ज्वालामुखी में समेट लेना
अपना लावा मत बयां करना
जो इस राह मिलेंगे
उनसे मिलते हुए
तुम इस जिंदगी से प्यार करते चलना
क्योकि
नहीं चाहती ये
किसी को भी तुम
जिंद़गी की तरह प्यार करो
ये सिर्फ अपना दबदबा चाहती है
और हाँ
ये सिर्फ तुम्हारी है
चाहती है कि तुम भी इसके हो जाओ
इसकी कदर करना तुम.....वरना
जानती है ये पटक कर फेकना भी
पर हाँ..... वापस सहेजती भी है
इसलिये
किसी भी छूटी हुई राह के साथ
मत छूटना तुम
जो बीता
उसे पाने की कोशिश तुम्हे
जिंदगी से दूर कर देगी.....इसलिये
इसकी हर करवट पर विश्वास रखना
अंत में तुम्हे सिर्फ जिंद़गी ही प्यार करेगी
कोई और नहीं
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