मैं हार ना मानूंगी
जिंदगी के झौको संग चलूंगी
थपेड़े आँधियों के सहूंगी, पर
मैं हार ना मानूंगी
गोधुली की धूल लेकर
भोर की किरणों से
नये सृजन करूँगी, पर
मैं हार ना मानूंगी
मुसीबतो को गले लगाकर
झंझावतों में झूलकर
तप तप कुंदन बनूंगी, पर
मैं हार ना मानूंगी
तुफानों से रुबरु होकर
जीवन से सबक लेकर
जंग हर एक लडूंगी, पर
मैं हार ना मानूंगी
राह के काँटे चुनकर
फूल भले ना बिछा पाँऊ
सुकून के पल सजाऊँगी,पर
मैं हार ना मानूँगी
करता है ईश्वर प्रेम मुझे
बाल न बांका होने देना
उसका प्रेम लेकर
पार हर राह करुंगी, पर
मैं हार ना मानूंगी
पिता चिनार के पेड़ की तरह होते है, विशाल....निर्भीक....अडिग समय के साथ ढलते हैं , बदलते हैं , गिरते हैं पुनः उठ उठकर जीना सिखाते हैं , न जाने, ख़ुद कितने पतझड़ देखते हैं फिर भी बसंत गोद में गिरा जाते हैं, बताते हैं ,कि पतझड़ को आना होता है सब पत्तों को गिर जाना होता है, सूखा पत्ता गिरेगा ,तभी तो नया पत्ता खिलेगा, समय की गति को तुम मान देना, लेकिन जब बसंत आये तो उसमे भी मत रम जाना क्योकि बसंत भी हमेशा न रहेगा बस यूँ ही पतझड़ और बसंत को जीते हुए, हम सब को सीख देते हुए अडिग रहते हैं हमेशा चिनार और पिता
हार नहीं मानना ही ज़िन्दगी का यथार्थ है। सुंदर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंआभार आपका
हटाएंमुसीबतो को गले लगाकर
जवाब देंहटाएंझंझावतों में झूलकर
तप तप कुंदन बनूंगी, पर
मैं हार ना मानूंगी...
प्रेरणावर्धक सुन्दर लेखन हेतु साधुवाद व बधाई ।
धन्यवाद
हटाएंइश्वर जिसे प्रेम करता हो उसका क्या ही बाल बांका होगा.
जवाब देंहटाएंउत्साह भर देने वाली रचना.
मेरी नई पोस्ट पर स्वागत है आपका 👉🏼 ख़ुदा से आगे
शुक्रिया.... जल्द ही उपस्थित होती हूँ आपकी पोस्ट पर
हटाएंउत्साहवर्धन के लिये आपका शुक्रिया 🙏
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जवाब देंहटाएंजी नमस्ते,
आपकी लिखी रचना हमारे सोमवारीय विशेषांक
१४ अक्टूबर २०१९ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।,
आपका बेहद शुक्रिया
हटाएंसुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंआशा वादी का दामन थामे सार्थक सृजन।
जवाब देंहटाएंशुक्रिया
हटाएंसाकारात्मक, सार्थक सृजन।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद दोस्त
हटाएंजीवन की सच्ची सीख देती सुंदर सृजन ,सादर
जवाब देंहटाएंयहाँ आकर मेरा उत्साह बढ़ाने के लिये शुक्रिया आपका
हटाएंईश्वर मुझे प्रेम करता है - यह जान लेने के बाद और किसी से प्रेम की अपेक्षा भी नहीं रह जाती। सुंदर।
जवाब देंहटाएंबिल्कुल सच......ईश्वरीय प्रेम के आगे सब तुच्छ है
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