नहीं आसान होता किसी को भुल जाना
रोजमर्रा में सुरज के साथ जलते हुए
पृथ्वी के साथ परिक्रमा करते हुए
चाँद को सिरहाने रखते हुए
रातों को टुटते तारों को देख
उदास होते हुए
नहीं आसान होता किसी को भुल जाना
सबके बीच अकेलेपन से जूझते हुए
कुछ धूँधली सी यादों को जीते हुए
नफरत के कंकर को बीनते हुए
विष में से दो बूंद अमृत की सहेजते हुए
कटु शब्दों को स्मृतियों से हटाते हुए
नहीं आसान होता किसी को भुल जाना
असंभव को संभव से गुजरकर
फिर असंभव पर आकर देखते हुए
हवा के बिना साँस लेते हुए
आधार बिना चलते हुए
बिना आसमाँ उड़ान का सपना लिये हुए
आँसू बिना बिलखकर रोते हुए
उदास सी हँसी चेहरे पर सजाते हुए
नही आसान होता किसी को भुल जाना
चंद लम्हों के साथ जीते हुए
जिंदगी से बिछड़ते हुए
ऊल जुलूल सोचते हुए
बेवजह तकरीर में उलझते हुए
नियती को बदलते हूए
मोह के धागों की उलझन को सुलझाते हुए
कहाँ आसान होता है किसी को भुल जाना
हर रोज सुबह की सैर मुझे पूरे दिन के लिये शारीरिक मानसिक रूप से तरोताजा करती है। सैर के बाद हम एक भैयाजी के पास गाजर, बीट, हल्दी, आंवला ,अदरक और पोदीने का जूस पीते है, जिसकी मिक्सिंग हमारे अनुसार होती है। हम उनके सबसे पहले वाले ग्राहक होते है , कभी कभी हम इतना जल्दी पहूंच जाते है कि उन्होने सिर्फ अपना सब सामान सैट किया होता है लेकिन जूस तैयार करने में उन्हे पंद्रह मिनिट लग जाते है, जल्दबाजी में नही होती हूँ तो मैं जूस पीकर ही आती हूँ, वैसे आना भी चाहू तो वो आने नहीं देते , दो मिनिट में हो जायेगा कहकर, बहला फुसला कर पिलाकर ही भेजते है। उनकी अफरा तफरी और खुशी दोनो देखने लायक होती है। आज सुबह भी कुछ ऐसा ही था, हम जल्दी पहूंच गये और उन्होने जस्ट सब सैट ही किया था , मैं भी जल्दबाजी में थी क्योकि घर आकर शगुन का नाश्ता टीफिन दोनों बनाना था। हमने कहां कि आज तो लेट हो जायेगा आपको, हम कल आते है लेकिन भैयाजी कहाँ मानने वाले थे । उन्होने कहा कि नयी मशीन लाये है , आपको आज तो पीकर ही जाना होगा, अभी बनाकर देते है। मुझे सच में देर हो रही थी लेकिन फिर भी उनके आग्रह को मना न कर स...
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