रोज की तरह एक व्यस्त सी सुबह......... साढ़े दस के आस पास नीरजा दी का व्हॉट्सऐप कॉल आया। मैंने रिसीव किया तो उधर से उनकी और बच्चों की आवाजें आ रही थी, मुझे लगा शायद वो क्लासरुम में थी और गलती से फोन लग गया होगा । मैंने थोड़ा इंतजार किया, फिर फोन डिसकनेक्ट हो गया। पाँच मिनिट बाद फिर दी का कॉल आया, इस बार विडियो कॉल था । थोड़े आश्चर्य के साथ मैंने कॉल रिसीव किया, नीरजा दी थी सामने...... अपनी चिर परिचित मातृत्वमयी मुस्कान के साथ। उन्होने कहा कि संगीता, अभी तुम्हारा विडियो देखा और अपनी कक्षा के बच्चों को दिखाया। बच्चों को बहुत अच्छा लगा और वे सब तुझसे मिलना चाहते है, यह कहकर उन्होने बच्चों की तरफ कैमरा किया। सारे बच्चें एक साथ मेरा अभिवादन कर रहे थे और मैं भाव विभोर तो थी ही, बहुत सम्मानित भी महसूस कर रही थी। मैंने बच्चों को पुछा कि कैसा लगा तो सारे एक सूर में बोले बहुत अच्छा। फिर मैंने पूछा कि ये कौनसी क्लास है तो सारे फिर से एक सूर में बोले, मुझे कुछ समझ नहीं आया। मैंने कहा, एक ही स्टूडेंट बोले तो पता लगा कि वो सेवेंथ क्लास थी। जब निश्छल मनों से प्रशंसा मिलती है तो वो सीधे दिल की गहराईयों में जाती है। आज की सुबह यही बेहतरीन सौगात मिली मुझे 😍
नीरजा दी मेरी फेसबुक मित्र है और उन्होने मुझे इतना स्नेह दिया है हमेशा कि मैं व्यक्त नहीं कर सकती। यह पल वाकई अविस्मरणीय रहेगा मेरे लिये। ईश्वर का वरदहस्त हमेशा मैं अपने सिर पर महसूस करती हूँ।
अपने मन के उतार चढ़ाव का हर लेखा मैं यहां लिखती हूँ। जो अनुभव करती हूँ वो शब्दों में पिरो देती हूँ । किसी खास मकसद से नहीं लिखती ....जब भीतर कुछ झकझोरता है तो शब्द बाहर आते है....इसीलिए इसे मन का एक कोना कहती हूँ क्योकि ये महज शब्द नहीं खालिस भाव है
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