पथिक तू चलता चल अपनी मंजिल की तरफ
कदम दर कदम , सफ़र दर सफ़र
फूलों के ख्वाबों को छोड़
काँटों की राह पकड़
संघर्षों से जूझता तू बढ़ता चल
अपनी ही धुन में अपनी मंजिल की तरफ
कदम दर कदम , सफ़र दर सफ़र
राह में मिलेंगे बहुत से हमसफ़र
इस कारवें में भीड़ का हिस्सा बनना मत
न करना कोई शिकवा-शिकायत
बस चुपचाप , अपने बुलंद इरादों के साथ
भीड़ को चीर के बढ़ता चल
अपनी ही धुन में अपनी मंजिल की तरफ
कदम दर कदम , सफ़र दर सफ़र
तनिक सी कामयाबी के जाम पीकर
उसके सुरूर में ना खोना
क्योकि ;
हो सकती है यह तुफां के पहले की ख़ामोशी
या फिर ;
किसी मृग-मरीचिका की मदहोशी
इसलिए ;
छलकते टकराते जाम को छोड़
आने वाले तुफां के लिए
खुदी को बुलंद कर , खुद को तैयार कर
तू चल अपनी ही धुन में अपनी मंजिल की तरफ
पथिक तू बढ़ता चल
कदम दर कदम , सफ़र दर सफ़र
कदम दर कदम , सफ़र दर सफ़र
फूलों के ख्वाबों को छोड़
काँटों की राह पकड़
संघर्षों से जूझता तू बढ़ता चल
अपनी ही धुन में अपनी मंजिल की तरफ
कदम दर कदम , सफ़र दर सफ़र
राह में मिलेंगे बहुत से हमसफ़र
इस कारवें में भीड़ का हिस्सा बनना मत
न करना कोई शिकवा-शिकायत
बस चुपचाप , अपने बुलंद इरादों के साथ
भीड़ को चीर के बढ़ता चल
अपनी ही धुन में अपनी मंजिल की तरफ
कदम दर कदम , सफ़र दर सफ़र
तनिक सी कामयाबी के जाम पीकर
उसके सुरूर में ना खोना
क्योकि ;
हो सकती है यह तुफां के पहले की ख़ामोशी
या फिर ;
किसी मृग-मरीचिका की मदहोशी
इसलिए ;
छलकते टकराते जाम को छोड़
आने वाले तुफां के लिए
खुदी को बुलंद कर , खुद को तैयार कर
तू चल अपनी ही धुन में अपनी मंजिल की तरफ
पथिक तू बढ़ता चल
कदम दर कदम , सफ़र दर सफ़र
टिप्पणियाँ
तू चल अपनी ही धुन में अपनी मंजिल की तरफ
पथिक तू बढ़ता चल
कदम दर कदम , सफ़र दर सफ़र
ummid se bhari sabhi se kuchh kahti panktiyan
rachana