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नन्हे जूते

ये नन्हे से जूते मैंने बनाये है , एक बहुत प्यारी क्रोशिए की डॉल के लिये । डॉल का फोटो भी जल्दी ही शेयर करूँगी, बस उसे अपनी मंजिल तक पहूँच जाने दीजिए ।
अब आते है मुद्दे की बात पर....जब मैं यह नन्हे सैंडल बना रही थी तो जूतों से जुड़ी कितनी ही कहावते मेरे दिमाग में आ रही थी जिनमे से एक यह थी कि कभी फलां के जूतें में पावं रखकर देखना तब तुम्हे उन जूतों की राह पता चलेगी।
     मैं इस बात से एकदम सरोकार रखती हूँ कि किसी भी सफल/असफल इंसान की डगर उसके अपने संघर्षों से बनी होती है। किसी के जूते आवाज करते है तो कोई चुपचाप राह माप जाते है।
      लेकिन यहां बात है नन्हें कदमों की , जो लड़खड़ाते हुए अभी चलना ही सीख रहे है। खासतौर से अभिभावकों के लिये मेरा ये मैसेज है कि ये नन्हे पावं एक दिन आपके जूतों में फिट होंगे, इनकी भी अपनी डगर होगी, इनके भी अपने संघर्ष होगे । इन्हे आप कोई बनीबनायी राह मत दिखाईये बल्कि जिस राह ये चलना चाहे आप उस राह को उन्हे बनाना सिखाईये। आप अभिभावक है , अपने अनुभवों से उन्हे सिखाईये कि पहले अपने जूतों के कंकर निकाले ,फिर मजबूती से पावं जमाते हुए रास्ते पर बढ़े ।
         
निदा फ़ाजली सा'ब ने क्या खूब कहा है.....
        बच्चों के छोटे हाथों को चाँद सितारे छूने दो
        चार किताबें पढ़ कर ये भी हम जैसे हो जाएँगे

इस शेर को पढ़ते हुए मैं यही कहूँगी कि भले आप उनको सपने दिखाइये आसमान की उड़ान के, चाँद सितारों को छूने के लेकिन बहुत जरुरी है हकीकत का फसाना भी ....उन्हे आसमान से पहले धरातल दिखाईये । हमारी आज की पीढ़ी इमोशनली बहुत वीक है इसलिये जरुरी है कि उन्हे सिखाया जाये मजबूती से टिके रहना। उन्हे गलतियां करने दीजिये, गलत जूते पहनने दीजिए ....यहाँ मायने गलती के नहीं है यहाँ मायने है गलती से सबक लेने के । देखियेगा....एक दिन उनका पावं सही माप के जूते में होगा , उन्हे जूता बदलने की हिम्मत दीजिए ।
    यह बात हम सब पर लागू होती है।
तो बताईये ये नन्हे से सैंडल आपको कैसे लगे ? 

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