किसी भी जीवनी को पढ़ना एक अद्भुत अनुभव होता है। आप किसी एक व्यक्ति को एक खास व्यक्तित्व में ढलते देखते है उसके जीवन के आयामों से गुजरते हुए खुद को महसूस करते है । कही न कही किसी भी जीवनी को पढ़ते हुए एक क्षण या पन्ना, पैराग्राफ ऐसा आता है कि आप खुद को उस किताब में महसूस करने लगते है। वॉन गॉग को पढ़ना सच में अद्भुत है । अभी आधी ही पढ़ पायी हूँ क्योकि कितने ही पैराग्राफ को दो दो बार पढ़ती हूँ....जिसे पढ़ते हुए रोंगटे खड़े होते है या मन विभोर होता है या कुछ भीतर पिघलता सा लगता है ....उन पैरेग्राफ को नोट्स बनाकर उतार रही हूँ...क्योकि समय के साथ सब धुंधला हो जायेगा।
इस किताब के कुछ शुरुआती प्रसंग है जिसमे पहली बार विंसेंट चित्र बनाते है और उन चित्रों को बनाने के बाद उनकी जो अनुभूति होती है वो अवर्णनीय है। भूख प्यास के मायने मिटा देते है जब वो रंगों में डूबते है।
एक और प्रसंग जो भाव विभोर कर गया , वो है विंसेंट के छोटे भाई थियो का विंसेंट से मिलने आना ।
थियो, जो विंसेंट से छोटा है पर उसका विंसेंट के प्रति नजरिया अभिभावक जैसा है। दोनों के रहन सहन, पहनावे और जीवन शैली में अंतर है। विंसेंट की एकदम बिगड़ी स्थिति देखकर थियो स्तब्ध रह जाता है और जिस स्नेह से वो विन्सेन्ट की केयर करता है , वही स्नेह आपके भीतर कही पसर जाता है । दोनों भाई एक दूसरे से बातें करने को आतुर होते है पर थियो एक माँ की तरह पहले उसके लिये खाने की व्यवस्था करता है, उसके लिये चूल्हे पर खाना पकाता है और तो और अपने हाथ से खिलाता है। मनुहार करके नहीं बल्कि प्यारभरी झिड़कियों और स्नेहमयी उलाहनों के साथ। उसकी दाढ़ी को सही शेप देता है, उसके बाल बनाता है ।
उधर विन्सेन्ट भाई को देखकर इतना ठीक हो जाता है जितना खाना खाकर भी नहीं होता।
थियो के लिये विन्सेन्ट सबसे ऊपर है । विन्सेन्ट के बिना थियो को अपना जीवन अधूरा लगता है ।
दोनो भाइयों के मिलन का यह प्रसंग लगभग दो दिन तक मन को नरम करता रहा और कहता रहा कि काश !!हम सब थियो जैसे भाई बन पाते ।
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