अगर प्यार को स्थाई रुप से अपनी जिंदगी में चाहते है तो उसे खुद में ढूंढिये। जिस तरह ईश्वर के लिये कबीर कहते है ..."मोको कहाँ ढूंढ़े रे बंदे, मैं तो तेरे पास रे" । जिस तरह ईश्वर आपको सिर्फ मंदिर की मूर्ति में नहीं मिलने वाला ...वो मूर्ति आपकी आस्था हो सकती है। ईश्वर से साक्षात्कार तभी महसूस कर पायेंगे जब आप उनकी स्थापना ह्रदय में करेंगे ।
बिल्कुल यही बात प्रेम को लेकर है , उसे बाहर किसी व्यक्ति विशेष में मत ढूंढिये, उसे अपने भीतर पल्लवित कीजिये,आपका प्यार से लबालब मन सिर्फ प्यार बिखेरेगा, तो कहाँ से द्वेष पायेगा?
कहाँ शिकायत करेगा ?किसी से प्यार न मिल पाने की.... प्यार बांटने के लिये ख़ुद को प्यार से भरा रखना जरुरी है, तो जिस प्यार की तलाश आप बाहर.कर रहे है, उसे ख़ुद में तलाशिये,
यकीन मानिये, जीवन ख़ूबसूरत लगने लगेगा ,
और हाँ!!... खु़द के साथ कोई ब्रेकअप भी नहीं होता। पूरे उत्साह से मनाइये आज का दिन....जीवन का हर दिन ।
टिप्पणियाँ
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (15-2-22) को पाश्चात्य प्रेमदिवस का रंग" (चर्चा अंक 4342)पर भी होगी।आप भी सादर आमंत्रित है..आप की उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी .
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कामिनी सिन्हा
बिल्कुल सहमत