कौन है जो
इस जग में कभी हारा नहीं
जीता वही
जो हार कर भी थमा नहीं
बहकते कदमों को साधकर
ध्येय को ठानकर
कमजोरियों को भांपकर
परिस्थितियों को ढापंकर
मुसीबतों को पार कर
तू बस जुड़ते जाना
कौन है ऐसा
जो कभी टुटा नहीं
खूद पर विश्वास रख
ना किसी से आस रख
अपनी कथनी का करनी से मिलान कर
जो चाहेगा वो पायेगा
कौन है ऐसा
जो अनचाहा कभी हुआ नहीं
खुदी को बुलंद कर
अडिग अपने हौसलें कर
बेपरवाही छोड़कर
जी उनके लिये
जो जीते है तुझे देखकर
कौन है ऐसा
जिसने अपना कभी खोया नहीं
जो छूट गया उसका मोह क्या
पल जो खिसक गया
उसका गम क्या
भ्रम से बाहर निकल
कौन है जो
इस जग में कभी छला नहीं
जीवन को सम्मान दे
स्वं को मान दे
अभिमान है तू कितनों का
बस, कुछ चीजों को विराम दे
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