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दो सितारें

मेरे आसमां में दो सितारें रहते है
जो , हर पल
मुझ पर नजर रखते है
जब खुश होती हूँ
तो वो भी ,
कुछ अधिक चमकीले होकर
टिमटिमाते है
जब कुछ उदास होती हूँ
तो अपनी छावं तले मुझे सहलाते है
मेरे दर्द को मरहम का लेप लगाते है
वो सितारें
हर क्षण मेरे साथ रहते है
मैं बेफ़िक्री को जीती हूँ
वो हरदम मेरी परवाह में रहते है
मेरा आसमान रोशन है इन दो तारों से
अब चाँद न भी हो तो 
कोई गम नहीं......
ये दोनो मेरे सूरज चाँद से कम नहीं 
ये घनघोर अंधेरी राहो पर 
झिलमिलाती उम्मीद का वो छोर है
जो सदा मेरे साथ है
ये छोर हमेशा जुड़ा रहेगा, जोड़ता रहेगा
ये बुनता है विश्वास को 
अटूट साथ को
जो न होकर भी होने में है
ये दोनो सितारे मेरी माँ है 

टिप्पणियाँ

आत्ममुग्धा ने कहा…
शुक्रिया आपका 🙏
Onkar ने कहा…
सुन्दर रचना
Punam ने कहा…
अटूट साथ को💞
बहुत सुंदर दी!

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उम्मीद

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