संदेह के बादलों से
भय की हो रही है बारिश
चू रही है छत
सील रहा है सब कुछ
बन रही है
चिन्ता की रेखायें
मेरे ललाट के आस पास
लेकिन
मन के एक कोने में
दूर कही
सुनहरी धूप खिलने को है
जो हटा देगी घने बादलों को
रोक देगी बरसते पानी को
क्योकि
एक नया इंद्रधनुष बनने को है
फिर भी
ना जाने क्यो
अनजाना सा लग रहा है क़यास
कभी बिखर तो कभी बंध रही है मेरी आस
मन ही नहीं
अब तो
मेरी चौखट भी रहने लगी है उदास
क्योकि
पल पल कर रहा है छलनी मुझे
मेरी माँ को खोने का अहसास
भय की हो रही है बारिश
चू रही है छत
सील रहा है सब कुछ
बन रही है
चिन्ता की रेखायें
मेरे ललाट के आस पास
लेकिन
मन के एक कोने में
दूर कही
सुनहरी धूप खिलने को है
जो हटा देगी घने बादलों को
रोक देगी बरसते पानी को
क्योकि
एक नया इंद्रधनुष बनने को है
फिर भी
ना जाने क्यो
अनजाना सा लग रहा है क़यास
कभी बिखर तो कभी बंध रही है मेरी आस
मन ही नहीं
अब तो
मेरी चौखट भी रहने लगी है उदास
क्योकि
पल पल कर रहा है छलनी मुझे
मेरी माँ को खोने का अहसास
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