संदेह के बादलों से
भय की हो रही है बारिश
चू रही है छत
सील रहा है सब कुछ
बन रही है
चिन्ता की रेखायें
मेरे ललाट के आस पास
लेकिन
मन के एक कोने में
दूर कही
सुनहरी धूप खिलने को है
जो हटा देगी घने बादलों को
रोक देगी बरसते पानी को
क्योकि
एक नया इंद्रधनुष बनने को है
फिर भी
ना जाने क्यो
अनजाना सा लग रहा है क़यास
कभी बिखर तो कभी बंध रही है मेरी आस
मन ही नहीं
अब तो
मेरी चौखट भी रहने लगी है उदास
क्योकि
पल पल कर रहा है छलनी मुझे
मेरी माँ को खोने का अहसास
भय की हो रही है बारिश
चू रही है छत
सील रहा है सब कुछ
बन रही है
चिन्ता की रेखायें
मेरे ललाट के आस पास
लेकिन
मन के एक कोने में
दूर कही
सुनहरी धूप खिलने को है
जो हटा देगी घने बादलों को
रोक देगी बरसते पानी को
क्योकि
एक नया इंद्रधनुष बनने को है
फिर भी
ना जाने क्यो
अनजाना सा लग रहा है क़यास
कभी बिखर तो कभी बंध रही है मेरी आस
मन ही नहीं
अब तो
मेरी चौखट भी रहने लगी है उदास
क्योकि
पल पल कर रहा है छलनी मुझे
मेरी माँ को खोने का अहसास
एक अच्छी प्रस्तुति ....सुन्दर रचना ..माँ पर कुछ भी लिखो कम ही लगता है
जवाब देंहटाएंधन्यवाद संजयजी,आपने बिल्कुल सच कहा,माँ पर जितना लिखो कम लगता है ।
हटाएंबहुत सुंदर अहसास.
जवाब देंहटाएंमाफ़ कीजियेगा राजीवजी,सराहने के लिये आपका आभार लेकिन माँ को खोने का अहसास कदापि सुंदर नहीं हो सकता यह बहुत पीड़ादायक क्षण होता है।
हटाएंबहुत सुंदर प्रस्तुति.
जवाब देंहटाएंइस पोस्ट की चर्चा, शनिवार, दिनांक :- 01/03/2014 को "सवालों से गुजरना जानते हैं" : चर्चा मंच : चर्चा अंक : 1538 पर.
किसी के लिए उसकी माँ की अनुपस्थिति बहुत पीड़ादायक होती है. माँ की बातें, नसीहतें, प्यार को भुलाया जाना असंभव है. माँ हमेशा आसपास ही होती है.
जवाब देंहटाएंमार्मिक ... माँ को खोने का एहसास उदासीन कर देता है हर पल को ... माँ के यादें नमी सी ले आती हैं ...
जवाब देंहटाएंआभार आप सभी का 🙏
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