जीवन का एक और वर्ष ले रहा है विदा
अब कहना है निराशा को अलविदा
कुछ यादें छलकी सी
कुछ यादें धुमिल सी
कुछ खुशियों भरी ओस की बुंदों सी
कल से बन जायेगी धरोहर
बीते हुए साल की
नये सपनों के संग
शुरुआत होगी नये साल की
कल का सुरज
मिटा देगा कोहरा
आसां हो जायेगी मुश्किल राह की
रात गयी सो बात गयी
जगी है ललक अब कुछ पाने की
हम बढ़े,सब बढ़े और बड़ी हो सोच सबकी
ना कुछ तेरा ना मेरा
ये जीवन तो है नियामत ख़ुदा की
बस....
खुश रहे सब
चाह बढ़ जाये जीने की
अब कहना है निराशा को अलविदा
कुछ यादें छलकी सी
कुछ यादें धुमिल सी
कुछ खुशियों भरी ओस की बुंदों सी
कल से बन जायेगी धरोहर
बीते हुए साल की
नये सपनों के संग
शुरुआत होगी नये साल की
कल का सुरज
मिटा देगा कोहरा
आसां हो जायेगी मुश्किल राह की
रात गयी सो बात गयी
जगी है ललक अब कुछ पाने की
हम बढ़े,सब बढ़े और बड़ी हो सोच सबकी
ना कुछ तेरा ना मेरा
ये जीवन तो है नियामत ख़ुदा की
बस....
खुश रहे सब
चाह बढ़ जाये जीने की
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