मेरी खिड़की से आ रही गड़गड़ाहट आज
उपर गरज रहे बादल
तो नीचे धुम धड़ाका विसर्जन का
झुम रहे गणपति भी
गा रहे सब
गणपति बप्पा मोरया
लेकिन मेरा मन
खोया है कही ओर
चिल्ला चिल्ला के कह रहा
निर्भया....निर्भया....निर्भया
मुझे नींद ना आयेगी आज
जब तक दरिंदों के सर
फांसी का ना सजेगा ताज
देश का सम्मान है तु
तु ही है मेरा भी मान
मिला अब तो तुझे
बप्पा का भी आशिर्वाद
आसमां से बुंद-बुंद बरस रही तु
मत रो,लाडली
अब खौल रहा सबका लहु
तु चिन्ता मत कर निर्भया
तेरे गुनहगारों को मिलेगी सजा
खिड़की से आ रही आवाज
गणपति बप्पा मोरया
....
फैसले के इंतजार
है तेरी निर्भया......
टिप्पणियाँ
खिड़की से आ रही आवाज
जरूर फांसी की सजा मिलेगी .
पोस्ट हिंदी
ब्लॉगर्स चौपाल में शामिल की गयी और आप की इस प्रविष्टि की चर्चा कल
{बृहस्पतिवार}
12/09/2013 को क्या बतलाऊँ अपना
परिचय ..... - हिंदी ब्लॉगर्स चौपाल - अंकः004 पर लिंक की गयी है ,
ताकि अधिक से अधिक लोग आपकी रचना पढ़ सकें. कृपया आप भी पधारें, आपके
विचार मेरे लिए "अमोल" होंगें. सादर ....राजीव कुमार झा
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