जलना
आग में और इर्ष्या में
कारण है विनाश का सर्वनाश का !
चुप्पी
चटकाती है दिल
रिश्ते मरते तिल-तिल !
तुम्हारे नाम का
मेरे ललाट पे सज
मान बढाता तुम्हारा और मेरा भी !
अपनों के रूखे व्यवहार से नहीं
बल्कि चाशनी में लिपटी उनकी बातों से !
है खुशियों का तडका
दुखो की दाल में !
दुखो की दाल में !
धुँआ धुँआ
है जिंदगी
जब जल रहे हो
रिश्ते आस पास
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अनु