जलना
आग में और इर्ष्या में
कारण है विनाश का सर्वनाश का !
चुप्पी
चटकाती है दिल
रिश्ते मरते तिल-तिल !
तुम्हारे नाम का
मेरे ललाट पे सज
मान बढाता तुम्हारा और मेरा भी !
अपनों के रूखे व्यवहार से नहीं
बल्कि चाशनी में लिपटी उनकी बातों से !
है खुशियों का तडका
दुखो की दाल में !
दुखो की दाल में !
धुँआ धुँआ
है जिंदगी
जब जल रहे हो
रिश्ते आस पास
बहुत सुंदर क्षणिकाएँ...
जवाब देंहटाएंअनु
anuji,pratham prayaas tha aur us par aapki swikruti ki mohar lag gai.....aage bhi margdarshan chaungi...sdhanywaad!
हटाएं