निशा ने पलके झपकाई ,
उषा ने ली अंगडाई
उषा ने ली अंगडाई
चकोर ने गर्दन झुकाई ,
उत्पल मुख मुस्कुराहट आई
उत्पल मुख मुस्कुराहट आई
आदित्य अंशु ने बिखराई पाँखे
चंचल विहगों ने खोली आँखे
पीपल के पत्तो पर पड़े हिमकण
रश्मि आभा पा हुए मोती विलक्षण
पुलकित पुलकित हुआ मनु-पुत्र
पाया जब उसने एक और नया विकल्प
आदित्य ने फैलाया अनुपम आलोक
स्वर्णिम स्वर्णिम लगे तब मन्दाकिनी तोय
वाणी ने किया वीणा को झंकृत
तब सरगम से हुई पृथ्वी अलंकृत
तब सरगम से हुई पृथ्वी अलंकृत
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