आज मन उदास है
सब कुछ मेरे पास है
कोई आरजू ना आस है
जाने क्यों
फिर भी मन उदास है
शायद
रूखे मौसम का तकाजा है
या फिर
बेरुखियों का तमाचा है
भागे मन , दौड़े मन
बंज़र रेगिस्तान में ये कैसी प्यास है
आज मन उदास है
खुशियाँ बिखरी आस-पास
दुखों से मन मेरा अनजान
बाहर है संगीत तो अन्दर निश्वास है
जाने क्यों
आज मन उदास है
रोज सजते सपने जिन आँखों में
आज टकटकी लगी वीरानो में
अपनों का मेला है
सपनो का रेलम-पेला है
फिर भी मन मेरा अकेला है
क्या ये आने वाले वक़्त की
कुछ अनहोनी आहट है
या फिर
मन नहीं ,
आज का मौसम ही उदास है
कोई आरजू ना आस है
जाने क्यों
फिर भी मन उदास है
शायद
रूखे मौसम का तकाजा है
या फिर
बेरुखियों का तमाचा है
भागे मन , दौड़े मन
बंज़र रेगिस्तान में ये कैसी प्यास है
आज मन उदास है
खुशियाँ बिखरी आस-पास
दुखों से मन मेरा अनजान
बाहर है संगीत तो अन्दर निश्वास है
जाने क्यों
आज मन उदास है
रोज सजते सपने जिन आँखों में
आज टकटकी लगी वीरानो में
अपनों का मेला है
सपनो का रेलम-पेला है
फिर भी मन मेरा अकेला है
क्या ये आने वाले वक़्त की
कुछ अनहोनी आहट है
या फिर
मन नहीं ,
आज का मौसम ही उदास है
टिप्पणियाँ
आपको जितना आदर उससे अधिक प्रेम पहुंचे इसी क्षण...❤️🙏