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क्या है आज़ादी

वो तो नन्हे की आँख का तारा है
जो हम सब को बेहद प्यारा है
वो तो है एक मीठी सी शहजादी
जिसे कहते है हम आज़ादी
कई जंजीरों ने इसे जकड़ा है
तो कही
आडम्बरों ने इसे पकड़ा है
यूँ तो आज़ाद है हम
लेकिन अपने ही बनाये बन्धनों में घूमते है सभी
बस पिंजरे में नहीं है
लेकिन बेड़ियों में बंधे है सभी
आज़ाद दिखने की होड़ में
खो बैठे आज़ादी
ना जाने जिंदगी के किस मोड़ में
आँखे बन गई सूखा तालाब
पथरीली हो गई गालों की ज़मीं
होठ सूख कर मुरझा गए
खो गई सबकी हसीं
क्या यही है आज़ादी
मायने नहीं समझे आज़ादी के
दायरे बढा दिए बरबादी के 
आज़ादी से आसमां में उड़ने की चाह 
चल पड़े सफलता की वो अनजानी राह 
ज़मीं भी छूटी आसमां भी छूटा 
पंख तो मिले पर पावँ कटा आये 
भुला बैठे नियामत खुदा की 
जरुरत थी तो बस थोडा सा मुस्कुराने की 
लेकिन हम फंस गए अपनी ही बनाई परिभाषाओ में 
कभी ढूंढते शब्दकोष में 
तो कभी संविधान की धाराओ में 
अब समझ पाई हु आज़ादी के सही मायने 
ग़र मिल जाए वो निश्छल हंसी 
तो तालाब भर जायेगे समंदर की तरह 
पथरीली ज़मीं हरी हो जाएगी 
गुलाब की पंखुड़ी 
फ़ैल जायेगी दोनों गालो तक 
बेल की तरह इठलाती 
हाँ ,यही तो है आज़ादी 

टिप्पणियाँ

vidya ने कहा…
आज़ादी से आसमां में उड़ने की चाह
चल पड़े सफलता की वो अनजानी राह
ज़मीं भी छूटी आसमां भी छूटा
पंख तो मिले पर पावँ कटा आये
भुला बैठे नियामत खुदा की

बहुत सुन्दर शगुन जी..
शुभकामनाएँ.
आत्ममुग्धा ने कहा…
aap yaha aai vidyaji....aapka aabhaar,shagun meri beti ka naam hai main sangeeta hu....blog ki duniya me nai hu .....aap jaise logo ki shubhkamnayon se sab seekh jaungi...dhanywaad
Rakesh Kumar ने कहा…
अब समझ पाई हु आज़ादी के सही मायने
ग़र मिल जाए वो निश्छल हंसी
तो तालाब भर जायेगे समंदर की तरह
पथरीली ज़मीं हरी हो जाएगी
गुलाब की पंखुड़ी
फ़ैल जायेगी दोनों गालो तक
बेल की तरह इठलाती
हाँ ,यही तो है आज़ादी

आपकी अनुपम सोचपूर्ण प्रस्तुति को नमन.
आपको 'शगुन' कहूँ या 'संगीता जी'
Rakesh Kumar ने कहा…
मेरे ब्लॉग पर आप आयीं,बहुत बहुत आभार आपका.
महाशिवरात्रि की शुभकामनाएँ.

आपके ब्लॉग पर टिपण्णी करने में अंग्रेजी के
अक्षरों से अच्छी माथापच्ची करनी पड़ती है.

इस बहाने अंग्रेजी समझने का अच्छा मौका मिल रहा है.

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