मन की थाह
मन करता है कि
आसमां को माप लु
समुंद्र की गहराइयों को छू लु
चाँद की चांदनी को समेट लु
सितारों को अपनी चुनरी में सजा लु
छू लु किसी के अंतर्मन को
और वेदना को कम कर जाऊ
किसी के मन की तपिश को
मेरे मन की शीतलता सुकून दे जाए
और भी ना जाने
क्या-क्या चाहता है मन मेरा
बस कोई तो एक हो
जो मेरे भी मन की थाह ले सके
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