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पिछला पखवाडा बहुत व्यस्तता वाला रहा .....सूर्य देव के मकर राशी में प्रवेश के साथ ही मल-मास समाप्त हो गया और शुभ कार्यों का शुभारम्भ हो गया ........मकर सक्रांति का त्यौहार , माहि चौथ का व्रत , घर के प्रांगण में माता की चौकी और दैनिक जीवन में घटने वाली छोटी-छोटी घटनाएँ जो मन-मस्तिष्क पर अमिट प्रभाव छोड़ देती है ........इन्ही सब के बीच नए साल का पहला महिना विदा लेने को है और विदाई के साथ मेरी झोली में डाल जायेगा खट्टी-मीठी यादों की सौगात ......और हर बार की तरह मैं मीठी यादों को सहेज लूँगी अपनी ही यादों के बगीचे में और खट्टी यादों की पोटली बना फ़ेंक दूंगी पास के तालाब में ...........
                 
          यादों के गलियारों से निलकते हुए
          अतीत के झरोखों से झाकते हुए
          कभी-कभी जी लेती हु मैं भी
         वो पल ,
         जिन्हें सहेजा है मैंने अपनी ही यादों के पिछवाड़े में
         जहा आज भी सांसे भरती है खुशियाँ
         महसूस करती हु उन सांसों की गर्माहट
         आज भी
        एक ही क्षण में ,अपनी पूरी आत्मीयता से
        जी लेती हु वो पल
         और जी के उन पलो को
        तृप्त हो जाता मन
        न करता कोई गिला-शिकवा
       बस,मैं और मेरे ये पल
        जीती हु इन्हें हर दिन हर पल
         नहीं चाहती कि खो जाए ये
        इसीलिए छोड़ा है इन्हें
        खुशियाँ बिखरने को, पल्लवित होने को
        अपनी ही यादों के पिछवाड़े में .

टिप्पणियाँ

  1. पहली दफा आपके ब्लॉग पर आना हुआ.
    आपको पढकर अच्छा लगा.
    सुन्दर भावपूर्ण प्रस्तुति के लिए आभार.

    मेरे ब्लॉग पर आपका हार्दिक स्वागत है.

    जवाब देंहटाएं
  2. dhanywaad rakeshji......yaha aane ka liye shukriya,jaldi hi aapke blog par mulakat hogi

    जवाब देंहटाएं

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पिता और चिनार

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