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घुमक्कड़ी

कहते है ना कि 'उसकी' मर्जी के बिना एक पत्ता भी नहीं हिल सकता। इस बात से मैं पुरा सरोकार रखती हूँ ।
       इस बार हमने स्पिति वैली की ट्रिप प्लान की थी, सब बहुत अच्छे से प्रीप्लान्ड था। जैसा कि हम अक्सर सोचते है कि सब कुछ हमारी प्लानिंग से होगा और प्लानिंग थोड़ा भी बिगड़ती है तो हम इरीटेट हो जाते है ।  भुल जाते है कि.....
       होइहि सोइ जो राम रचि राखा। 
     को करि तर्क बढ़ावै साखा॥
जिस दिन अलसुबह हम निकलने वाले थे, प्लान तभी से प्रभावित होने लगा। पहले दिन ही हमारे घर की बिजली गुल हो गयी । दिन में हमने पैकिंग कर ली थी लेकिन कुछ इस भरोसे रह गयी कि लास्ट टाइम
तक चलती रहेगी । मुम्बई इन दिनों प्रीमानसून के दौरान बहुत ह्युमिड रहती है, गरमी चिपचिपाहट अपने चरम पर होती है....उस दिन बिल्कुल ऐसा ही था और लाइट भी शाम तक न आयी। कम्पलेन के बाद बिजली विभाग के कर्मचारियों ने हमारे घर के पास वाले बड़े मीटर बॉक्स को चैक किया, सब ठीक किया। अब आस पास की दो बिल्डिंगों की लाइट आ गयी लेकिन हमारे घर की बत्ती अब भी गुल थी। काफी मशक्कत के बात पता लगा कि हमारे घर तक पहूंचने वाला केबल ही जल गया तो अब बिजली सुबह तक तो नहीं ही आयेगी। 
      हमे सुबह के तीन बजे निकलना था और बिना बिजली घर में घुट जाने जैसा था । इनवर्टर पहले से खराब था क्योकि उसकी कभी जरुरत पड़ी नहीं। 
हमने अंधेरे में टॉर्च की रोशनी में लास्ट टाइम रखने वाला सामान रखा और रात दस बजे ही अपने घर से निकल कर परिवार के दुसरे सदस्य के घर चले गये और सुबह तीन बजे वही से निकले।
      प्लाइट सही समय पर पकड़ी, सही समय पर अगले डेस्टिनेशन पहूंचे और टैक्सी लेकर मनाली पहूंच गये। सुबह सुबह हम स्पिति वैली के लिये निकलने वाले थे, सब प्लानिंग से था, होटल बुक था। प्लानिंग के हिसाब से ही हम सुबह नाश्ता करके निकल लिये। हम मनाली को पीछे छोड़ते हुए रोहतांग पास की ओर निकल आये। इसी पास पर एक कच्चा रास्ता काज़ा को जाता है जो कि हमारी मंजिल था। उस रास्ते पर चैकपोस्ट के लिये कुछ लोग खड़े थे और उन्होने हमे रोक लिया और कहा कि काज़ा तो बंद है साहब...लैंड स्लाइड हुआ है, वापस लौट जाइये ।
     हम तो सकते में आ गये कि ऐसे कैसे ? हमारी तो आज की बुकिंग है काज़ा में। 
     हमने पूछा कि कब तक खुलेगा तो बताया गया कि कम से कम दस घंटे लगते है और एक नम्बर प्रोवाइड किया गया कि इस पर फोन करके पुछ सकते है ।
    हम लौट आये लेकिन मनाली जाने के बजाय हमने सोचा कि पास के होम स्टे में रुका जाये और हम निकल गये होम स्टे की खोज में। तीन चार जगह पर क्वेरी की तो कोई कमरा खाली नहीं मिला। किस्मत से एक होम स्टे वाले अंकलजी ने बोला कि जस्ट एक कमरा चेकआउट हुआ है....लेकिन साफ करना बाकी है । हमने वो बुक कर लिया और अंकल को क्लीन करने बोल दिया । तब तक हम बाहर आस पास के नजारे देखने लगे। वहाँ एक और परिवार था जो हमारी ही तरह अटका था । उन्होने बताया कि उन्हे चंद्रताल जाना था लेकिन लैंडस्लाइड की वजह से जा नहीं पाये और इस होमस्टे में आकर रूके है । 
    खैर....कमरा साफ हुआ , हमने सामान भीतर रखा । इसी बीच आंटी ने बहुत स्वादिष्ट चाय बनाकर पिलायी। काज़ा वाले रास्ते का बंद होने का थोड़ा अफसोस तो था हमे...लेकिन होमस्टे के आसपास के खुबसूरत नजारे और उनके पहाड़ी मालिक परिवार की सरलता देखकर अफसोस छूमंतर हो गया। 
      अब हमारे पास पूरा दिन था....हमने सोचा कि आस पास के पहाड़ घुम लेंगे लेकिन तभी एक आइडिया आया कि क्यो न रोहतांग चला जाये और बस आनन फानन हम रोहतांग के लिये निकल गये।
      रोहतांग की सैर हमारे प्लान में नहीं थी , लेकिन ये भगवानजी ने प्लान कर रखा था कि इन्होने रोहतांग नहीं देखा है तो चलो इनको ये दिखा दिया जाये 😃 
      हम रोहतांग पास गये और मन एकदम खुश हो गया। वहां एक कैमरा वाले भैया मिले, उनसे हमने फोटो शूट करवाया। जब सब हो गया तो मुझे खयाल आया कि रिसेंटली बनायी मेरी राम दरबार की पेंटिंग मेरे बैग में रखी है और मैंने उसको बाहर निकाला और उसका फोटो क्लिक करने लगी तभी वो कैमेरा वाले भैया बोले कि मैम ये आपने बनाया है ? मैंने जब हाँ कहा तो उन्होने फिर से पूछा कि ये बैकग्राउंड में लिखा भी आपने है? उसने लगभग चार बार पुछा और वो भी आश्चर्य से। फिर उन्होने बोला कि मैं क्लिक करता हूँ और उन्होने पांच छः फोटो मेरे इस आर्टवर्क की क्लिक की....बिल्कुल दिल से।
    तो यह थी पहले दिन की कहानी...
जाना था जापान पहूंच गये चीन 😃 

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