अगर कभी भी
आपके मन में एक ख्वाहिश उठती है
एक जगह टिक बैठने की
तो समझ लीजिये
आप सुकून में है
किसी काम में आपका मन
इतना रम जाता है
कि आप ध्यानमग्न हो जाते है
किसी एक इंसान का सामिप्य
अगर आपको
हर बार कम पड़ जाता है
तो समझ लीजिये
आप प्रेम में है
किसी एक व्यक्ति के अहसास में
आप जीवन गुजार सकने की
ख्वाहिश में है
तो यकीकन यह प्रेम है
लेकिन अगर
आपका मन रमता नहीं है
टिकता नहीं है
दस दिशाओं में भागता है
एक हाथ से होकर
दूसरे साथ से गुजरता है
एक अधुरे काम से
दूसरी पूर्णता को छूता है
और
बहुत जल्दी गर उकता जाते है आप
किसी भी काम से
किसी भी इंसान से
तो यकिन मानिये
आप अधर में है
तनिक ठहर कर खंगालिये खुद को
पहले खुद को स्थिर कीजिए
फिर स्थिरता तलाशिये
काम मे
इंसान में
सादर नमस्कार ,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (26 -10-21) को "अदालत अन्तरात्मा की.."( चर्चा अंक4228) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है..आप की उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी .
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कामिनी सिन्हा
अति उत्तम सार्थक संदेश
जवाब देंहटाएंसुंदर रचना आदरणीय ।
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