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साढ़े पांच मीटर

सुनो लड़कियों
तुम अगर थोड़ी कम लंबी हो 
तो मैं तुम्हे लंबा दिखा सकती हूँ
थोड़ी ज्यादा ही लंबी हो तो
संतुलन बना सकती हूँ
अगर थोड़ी सी मोटी हो, तो
चिंता न करो कतई
मैं तुम्हे पूरी तहजीब से तराश दूँगी
ग़र पतली हो कुछ ज्यादा ही तो
तुम्हारी दिखती हड्डियों को 
बड़ी ही कुशलता से छुपा दूँगी
बाकी रंग की तुम फिक्र ना रहो
गोरी हो चाहे काली
तुम बेमिसाल हो
लेकिन सुनो छोरियों
बेमिसाल हूँ मैं भी
मैं पहचान हूँ
मैं पूरी की पूरी संस्कृति हूँ
मैं जादू हूँ जो किसी को भी जादुई बना दे
मै कशिश हूँ
मैं नशा हूँ
मैं कमसिन हूँ
मैं खूबसूरत हूँ
यूँ तो मैं साढ़े पाँच मीटर का 
महज एक कपड़ा हूँ
पर इस कपड़े मे समेट लेती हूँ
इस पूरे देश की 
हर प्रांत की
हर घर की
सारी बातें
दादी नानी और माँ की खुशबू बसी है मुझमे
और सुनो लड़को
मुझमे है एक आँचल भी
जिसकी छांव तले तुम सब सुस्ताए हो
जानते हो कौन हूँ मैं
मैं साड़ी हूँ
फैशन के इस दौर में गर्व से खुद पर इतराती
हाँ....मैं साड़ी हूँ 

टिप्पणियाँ

  1. अरे... गजब यार... कितनी सादगी से साड़ी की खूबसूरती बयान की है🤗🤗

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  2. आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (23-12-2020) को   "शीतल-शीतल भोर है, शीतल ही है शाम"  (चर्चा अंक-3924)   पर भी होगी। 
    -- 
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है। 
    -- 
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।  
    सादर...! 
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' 
    --

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  3. सच साड़ी की खुबसूरती साड़ी पहने वाली से है जिसे तुमने बहुत सुन्दर प्रस्तुत किया है ❤️❤️

    जवाब देंहटाएं
  4. साड़ी की खूबसूरती को बहुत ही सुंदर तरीके से व्यक्त किया है आपने।

    जवाब देंहटाएं
  5. बहुत ही आकर्षक !साड़ी के महत्व पर कितना सादगगी से लिखा है आपने जो साड़ी को और भी ऊंचाइयों पर ले गया।
    वाह!

    जवाब देंहटाएं
  6. बहुत खूब,सच कहा आपने इस फैशन की दौर में सब कुछ बदला मगर साडी ने अपनी जगह उसी खूबसूरती के साथ बरकार रखा है,सादर नमन अलकनन्दा जी

    जवाब देंहटाएं

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