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करवां चौथ

ऐ चाँद,आज तु भी जरा इठलाना
पूरो शबाब से आसमां में उतरना
खुशियों के छलकाना जा़म
क्योकि आज की ये खुबसुरत शाम
तेरे और मेरे प्रिय के नाम
ऐ चाँद, देख जरा नीचे
सज धज के खड़ी सुहागिनें
कर रही तेरा इंतजार,करके सोलह श्रृंगार
बादलों की ओट से तु झांकना
लगी है टकटकी,जो झलक तेरी दिखी
खिल जायेगे सबके चेहरे,चलेगा तेरा जादु
क्या प्रोढ़ा,क्या यौवना और क्या नववधु
ऐ चाँद,तु साक्षी बनेगा प्यार का
देखेगा आस्था की रात में घुलता ऐतबार
आज तो यार से भी पहले होगा तेरा दीदार
लेकिन सुन जरा,
भले ही धरती पे ना उतर
लेकिन आसमां में जल्दी तु आना
मैं भी हुँ प्यासी तेरे दीदार की
जल्दी तु आना
होगा प्यार का समर्पण
करके तुझको जल अर्पण
करवां चौथ की हार्दिक बधाईयाँ

टिप्पणियाँ

  1. प्रेम के प्रतीक का दर्शन ... उसके मिलन की ललक लिए सुन्दर भावपूर्ण रचना ...

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उम्मीद

लाख उजड़ा हो चमन एक कली को तुम्हारा इंतजार होगा खो जायेगी जब सब राहे उम्मीद की किरण से सजा एक रास्ता तुम्हे तकेगा तुम्हे पता भी न होगा  अंधेरों के बीच  कब कैसे  एक नया चिराग रोशन होगा सूख जाये चाहे कितना मन का उपवन एक कोना हमेशा बसंत होगा 

पलाश

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जिंदगी विथ ऋचा

दो एक दिन पहले "ऋचा विथ जिंदगी" का एक ऐपिसोड देखा , जिसमे वो पंकज त्रिपाठी से मुख़ातिब है । मुझे ऋचा अपनी सौम्यता के लिये हमेशा से पसंद रही है , इसी वजह से उनका ये कार्यक्रम देखती हूँ और हर बार पहले से अधिक उनकी प्रशंसक हो जाती हूँ। इसके अलावा सोने पर सुहागा ये होता है कि जिस किसी भी व्यक्तित्व को वे इस कार्यक्रम में लेकर आती है , वो इतने बेहतरीन होते है कि मैं अवाक् रह जाती हूँ।      ऋचा, आपके हर ऐपिसोड से मैं कुछ न कुछ जरुर सिखती हूँ।      अब आते है अभिनेता पंकज त्रिपाठी पर, जिनके बारे में मैं बस इतना ही जानती थी कि वो एक मंजे हुए कलाकार है और गाँव की पृष्ठभूमि से है। ऋचा की ही तरह मैंने भी उनकी अधिक फिल्मे नहीं देखी। लेकिन इस ऐपिसोड के संवाद को जब सुना तो मजा आ गया। जीवन को सरलतम रुप में देखने और जीने वाले पंकज त्रिपाठी इतनी सहजता से कह देते है कि जीवन में इंस्टेंट कुछ नहीं मिलता , धैर्य रखे और चलते रहे ...इस बात को खत्म करते है वो इन दो लाइनों के साथ, जो मुझे लाजवाब कर गयी..... कम आँच पर पकाईये, लंबे समय तक, जीवन हो या भोजन ❤️ इसी एपिसोड में वो आगे कहते है कि मेरा अपमान कर