"राम ने रावण को मारा"
यह वाक्य बचपन में ना जाने कितनी बार मैनें अपनी सुंदरलेख की पुस्तक में लिखा था,उस वक्त मेरे लिये यह महज ऋुतिलेख और सुंदरलेख का एक वाक्य भर था,जिसे मैं साठी (कलम का एक प्रकार) की सहायता से अपनी पुस्तक पर उतारती थी।बचपन की यादों में तो यही अंकित था कि रावण दस सिरों वाला एक राक्षस था जिसे भगवान राम ने अपने धनुष बाण से मार दिया था.....उस दिन से हम दशहरा मनाने लगे।समय के साथ विजयादशमी के गुढ़ अर्थ भी समझ में आने लगे कि राम और रावण तो प्रतिक मात्र है अच्छाई और बुराई के,वैसे व्यक्तिगत रूप से तो रावण महाविद्वान पुरूष थे।रावण जैसे ज्ञानी दुश्मन के साथ युद्ध करके स्वयं राम ने भी खुद को गौरवािन्वत महसुस किया था ।रावण को जितना पढ़ा,समझा....इतना ही जाना कि शिव का यह परम भक्त,महाज्ञानी था,ना सिर्फ शस्त्र विद्या में बल्कि वेदों का भी प्रकांड पंडित था। लेकिन उसकी एक बुराई ने उसका महाविनाश करवा दिया।वो दसानन एक बुराई के चलते मृत्यु को प्राप्त हुआ।
लेकिन आज के रावण का विनाश क्या उसकी एक बुराई की वजह से हो पायेगा।वो रावण दस सिर वाला था,शस्त्र और शास्त्र दोनो का ज्ञानी था,लेकिन आज का रावण एक सिर का है ओर दस तरह की बुराईयों को साथ लेकर चलता है तथा अपने झुठे दंभ का अभिमानी है।उस रावण के विनाश के लिये राम को अवतरित होना पड़ा........लेकिन आज के रावण के,आज के दसानन के वध के लिये कोई अवतार नहीं।स्वयं भगवान भी असमंजस में है.....
आज घर घर में रावण पाऊँ
इतने राम मैं कहाँ से लाऊँ ???????????
यह वाक्य बचपन में ना जाने कितनी बार मैनें अपनी सुंदरलेख की पुस्तक में लिखा था,उस वक्त मेरे लिये यह महज ऋुतिलेख और सुंदरलेख का एक वाक्य भर था,जिसे मैं साठी (कलम का एक प्रकार) की सहायता से अपनी पुस्तक पर उतारती थी।बचपन की यादों में तो यही अंकित था कि रावण दस सिरों वाला एक राक्षस था जिसे भगवान राम ने अपने धनुष बाण से मार दिया था.....उस दिन से हम दशहरा मनाने लगे।समय के साथ विजयादशमी के गुढ़ अर्थ भी समझ में आने लगे कि राम और रावण तो प्रतिक मात्र है अच्छाई और बुराई के,वैसे व्यक्तिगत रूप से तो रावण महाविद्वान पुरूष थे।रावण जैसे ज्ञानी दुश्मन के साथ युद्ध करके स्वयं राम ने भी खुद को गौरवािन्वत महसुस किया था ।रावण को जितना पढ़ा,समझा....इतना ही जाना कि शिव का यह परम भक्त,महाज्ञानी था,ना सिर्फ शस्त्र विद्या में बल्कि वेदों का भी प्रकांड पंडित था। लेकिन उसकी एक बुराई ने उसका महाविनाश करवा दिया।वो दसानन एक बुराई के चलते मृत्यु को प्राप्त हुआ।
लेकिन आज के रावण का विनाश क्या उसकी एक बुराई की वजह से हो पायेगा।वो रावण दस सिर वाला था,शस्त्र और शास्त्र दोनो का ज्ञानी था,लेकिन आज का रावण एक सिर का है ओर दस तरह की बुराईयों को साथ लेकर चलता है तथा अपने झुठे दंभ का अभिमानी है।उस रावण के विनाश के लिये राम को अवतरित होना पड़ा........लेकिन आज के रावण के,आज के दसानन के वध के लिये कोई अवतार नहीं।स्वयं भगवान भी असमंजस में है.....
आज घर घर में रावण पाऊँ
इतने राम मैं कहाँ से लाऊँ ???????????
टिप्पणियाँ
दशहरा की मंगल कामनाएं ...
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विजयादशमी की शुभकामनाएँ .