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गाँव

लम्बे अंतराल के बाद आज यहाँ आना हुआ है ....पिछले कुछ दिन काफी व्यस्तता वाले रहे ....गया पखवाडा मैंने राजस्थान में बिताया .....हमेशा की तरह लू के थपेड़े लेकिन फिर भी आनंद की अनुभूति.....बहुत सारे मेहमानों की मेहमान-नवाजी का सौभाग्य प्राप्त हुआ और सब सकुशल संपन हुआ....हर बार की तरह इस बार भी मेरी किताब में एक और पृष्ठ जुड़ गया और इस बार इसमें सिर्फ मीठी यादें है 


ना पनघट है ना घूँघट है और ना ही बरगद की छावं 
फिर भी अच्छा लगता मुझे मेरा गाँव 
बढ़ा  रहा हाथ दोस्ती का शहर से 
चला जा रहा सड़क की ओर पगडंडी की डगर से 
ऐसे ही अपने गाँव में बिता आये कुछ पल फुर्सत के 
भागते से लम्हों में कुछ पल सुस्ताई 
मशीनी युग में रेंगती सी जिंदगी देख मैं हरषाई 
यहाँ तो कहते है 
नाइन-महरिन को भी चाची और ताई 
बड़ों ने बिछाई बाज़ी ताश के पत्तों की 
खुशियों के ओवर में लगे चौक्के-छक्के ठहाको के 
यहाँ ;
अपनेपन की चारदीवारी में 
बंटवारे होते सुख-दुःख के 
महफ़िल सजी शामियानों में 
जागरण हुआ एकादशी का तारों की छावं में 
आधी रात को सोरठ की राग गूंजी मेरे गाँव में 
मेहमाननवाज़ी में ज्यादा वक्त ना मिला 
लेकिन फिर भी लगा 
जैसे बिखरी है खुशियाँ मेरे ही पास में 
याद हमेशा रहेगा 
छत पे बिस्तर का बिछाना 
तारों की छावं तले  सोकर उन्हें निहारना 
हिरनी सा दौड़ता मन , कुंचाले भरता इधर-उधर 
ढूंढ लाता था चंचल मन खुशियाँ जो बिखरी थी इधर-उधर 
याद रहेगा 
मोर की पिहू-पिहू से आँख का खुलना 
और घर के पिछवाड़े मोरनी को नाचते देखना 
सुबह-सुबह जल्दी से सूरज का उगना 
भरी दोपहरी में बत्ती का जाना 
अच्छा लगता था उसमे शरबत का भाना 
तपे जेठ में भी सुख था वहा 
ऐसा मंगल-शहनाई सा गाँव का घर 
जहा पसरे थे पल, चैन-शांति वाले 
मिठास घोलते थे भरे दही के प्याले 
बैचैन होकर लोग करते थे गर्मी की बाते 
लेकिन मुझे तो 
अच्छे लगते थे वो लम्बे से दिन और छोटी सी राते 
खरबूजे,तरबूज,ककड़ी और आम का खाना 
याद रहेगा वो पल गाँव का 
कोल्ड ड्रिंक , कॉफ़ी के कड़वेपन के बीच 
महक उठा स्वाद छाछ का ................................................:)

टिप्पणियाँ

ANULATA RAJ NAIR ने कहा…
अपनी जड़ें कोई छोड़ सकता है भला....

सुन्दर रचना
raunak jangid ने कहा…
इस टिप्पणी को एक ब्लॉग व्यवस्थापक द्वारा हटा दिया गया है.
मुझे आपका ब्लोग बहुत अच्छा लगा ! आप बहुत ही सुन्दर लिखते है ! मेरे ब्लोग मे आपका स्वागत है !
आत्ममुग्धा ने कहा…
hausala badhane ke liya dhanywaad sanjayji.....aapka bhi mere blog par saidev swagat h....

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