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सीख जीवन की

ये एक बड़ा सा पौधा था जो Airbnb के हमारे घर के कई और पौधों में से एक था। हालांकि हमे इन पौधों की देखभाल के लिये कोई हिदायत नहीं दी गयी थी लेकिन हम सबको पता था कि उन्हे देखभाल की जरुरत है । इसी के चलते मैंने सभी पौधों में थोड़ा थोड़ा पानी डाला क्योकि इनडोर प्लांटस् को अधिक पानी की आवश्यकता नहीं होती और एक बार डाला पानी पंद्रह दिन तक चल जाता है। मैं पौधों को पानी देकर बेफिक्र हो गयी। दूसरी तरफ यही बात घर के अन्य दो सदस्यों ने भी सोची और देखभाल के चलते सभी पौधों में अलग अलग समय पर पानी दे दिया। इनडोर प्लांटस् को तीन बार पानी मिल गया जो उनकी जरुरत से कही अधिक था लेकिन यह बात हमे तुरंत पता न लगी, हम तीन लोग तो खुश थे पौधों को पानी देकर।      दो तीन दिन बाद हमने नोटिस किया कि बड़े वाले पौधे के सभी पत्ते नीचे की ओर लटक गये, हम सभी उदास हो गये और तब पता लगा कि हम तीन लोगों ने बिना एक दूसरे को बताये पौधों में पानी दे दिया।       हमे समझ नहीं आ रहा था कि क्या करे, बस सख्त हिदायत दी कि अब पानी बिल्कुल नहीं देना है।      खिलखिलाते से पौधे को यूँ मुरझाया सा देखना बिल्कुल अच्छा नहीं लग रहा था कि

कद्दू

एक त्यौहार यहाँ आने वाला है, जिससे अब हम भारतीय भी अनजान नही है,नाम है हैलोवीन।  पूरे अमेरिका में इसकी तैयारियां चालू है । यह पतझड़ का भी समय है, जो कि बेहद खूबसूरत समय है , जब हरे पत्ते लाल नारंगी होकर हवा के झोकों के साथ गिरने लगते है ।     हैलोवीन और पतझड़ के साथ एक और नारंगी रंग की चीज मैंने हर जगह देखी , वो है कद्दू यानि की पम्पकिन। अब सोचने वाली बात है कि आखिर ऐसा क्या है जो इस साधारण नारंगी रंग के फल को अमेरिका में इतना लोकप्रिय बनाता है, कि उनके दो त्यौहार - हैलोवीन और थैंक्सगिविंग - इसके बिना लगभग अधूरे हैं?  वास्तव में यहाँ कद्दू की इतनी प्रचुरता है जो मैंने स्वयं अपनी आँखों से देखी है । कद्दू यहाँ की मुख्यधारा का एक हिस्सा है, यह रोजमर्रा के भोजन में तो इस्तेमाल होता ही है बल्कि इसे सजावट के तौर पर भी इस्तेमाल किया जाता है, हैलोवीन के दौरान यह सभी की पसंदीदा चीज़ है।  अपनी नारंगी चमक के साथ, यह प्यारा कद्दू पतझड़ की सजावट में चार चाँद लगा देता है।  इन दिनों हर घर के एंटरेंस पर कद्दू सजा है जो हमारे भारतीय कद्दूओं की साइज से कही ज्यादा बड़ा होता है । यहाँ पर कद्दुओं को खोखला

हमारे राम

परसो 'हमारे राम' नाटक की प्रस्तुति देखने का सौभाग्य मिला। तीन घंटे का शानदार मंचन, अद्भुत अभिनय, बेजोड़ कलाकार, सधे हुए काव्यात्मक संवाद, बेहतरीन गीत और तालीयां बजाकर प्रशंसा करते दर्शक।         मैंने पहली बार ऐसा शानदार नाट्य देखा। कलाकारों की बेजोड़ मेहनत साफ साफ दिख रही थी। संवाद अदायगी ऐसी थी कि दर्शक दीर्घा में बैठे दर्शक चुप्पी साधे शब्द शब्द को जैसे पी रहे हो।          हालांकि राम और रावण के अभिनय का तो कोई सानी नहीं लेकिन अब जब लिखने बैठ रही हूँ तो ऐसा लग रहा है कि अभिनय सबका ऊपरी दर्जे का था । छोटे से छोटा पात्र भी उतना ही मुखर था जितने कि मुख्य पात्र ।        सबसे ज्यादा हतप्रभ थी मैं संवादो और हाव भाव को लेकर। संवाद इतने बड़े और इतनी शुद्ध हिंदी में थे कि कही भी जीभ फिसल सकती थी लेकिन मजाल जो कोई अटक भी जाये। मैं बार बार सोच रही थी कि फिल्मों में रिटेक होते है लेकिन यहाँ तो आपको जो भी करना है, एक ही बार में सामने सामने प्रस्तुत करना है और वो भी एकदम सधा हुआ ।  दूसरी बात थी बॉडी लैंग्वेज, सभी कलाकारों के हाव भाव , उनका मंच पर चलने का अंदाज, लक्ष्मण का हर बार सलीके