आज विश्व हिंदी दिवस है। हिंदी एक ऐसी भाषा जिसमे सुकून है, जो हमारी आत्मा की भाषा है। मुझे इसकी लिपि से भी प्यार है । हिंदी लिखना और हिंदी बोलना दो अलग बाते है बिल्कुल इसी तरह भाषाई शुद्धता और भाषाई सौंदर्य दो अलग बातें है ।
बात करते है इसके पहले बिंदू पर......अमूमन हम सब हिंदी बोल लेते है लेकिन मोबाईल में देवनागरी लिखना और पढ़ना सब लोग नहीं कर पाते। मैं सिर्फ इसीलिये देवनागरी में लिखती हूँ ताकि मेरे बच्चें इस लिपि के मातृत्व से जुड़े रहे, मातृभाषा के मोह में रहे।
अपनी भाषा का मिठास सबसे मीठा । हिंदी बोलने को लेकर दो छोटी घटनाएं आपके साथ शेयर करती हूँ। यह बात कुछ दिनों पहले की है जब शगुन एक ऐसे देश गयी जहाँ सब अंग्रेजी के पहले अपनी भाषा बोलते है । वो वहाँ पाँच दिन रूकी , हम सब उसके लगातार संपर्क में थे और जब भी नेटवर्क मिलता , हम बात कर लेते। एक फ्लाईट लेकर जब वो टोक्यो पहूँची तो अगली फ्लाईट में समय अंतराल कम होने की वजह से हम चिंतित थे। हम सबने चैन की सांस ली थी जब वो बोर्डिंग की लाइन में लग गयी थी। टोक्यो से दिल्ली तक की 10:35 की फ्लाईट में वो 10:29 पर बैठी और जैसे ही बैठी , उसका पहला मैसेज था कि
"प्लेन भर गयी और सब मस्त हिंदी में बात कर रहे है"
ये होता है अपनेपन का अहसास। उसका सारा तनाव काफूर हो गया ।
दूसरा किस्सा है पहली जनवरी का जब रौनक न्यूयाॅर्क के ईस्काॅन मंदिर में गया और जब वहा एक विदेशी भक्त ने हैलो की जगह " हरे कृष्णा " कहा । वो खुशी से रोमांचित हो गया और मुझे बताया । ये होता है अपनेपन का अहसास, अपनी भाषा का स्वाद।
अब आते है दूसरे बिंदू पर....भाषा की शुद्धता और भाषा के सौंदर्य पर । तो दिलचस्प बात यह है कि आज के दिन मैं एक ऐसी प्रोफाईल से टकराई जो हिंदी की बिंदी है । एक प्यारी सी, सरल सी बच्ची.....जो उतनी सरल, सधी और शुद्ध हिंदी बोलती है कि आप दांतों तले अंगुली दबा लोगे। आप खुद पर संदेह भी कर सकते है कि आप हिंदी बोलते भी है क्या 😄 इस बच्ची का नाम है वर्षा दहिया, जिसे आप यूट्यूब या इंस्टाग्राम पर सुन सकते है ।
विश्व हिंदी दिवस की शुभकामनाएं
बात करते है इसके पहले बिंदू पर......अमूमन हम सब हिंदी बोल लेते है लेकिन मोबाईल में देवनागरी लिखना और पढ़ना सब लोग नहीं कर पाते। मैं सिर्फ इसीलिये देवनागरी में लिखती हूँ ताकि मेरे बच्चें इस लिपि के मातृत्व से जुड़े रहे, मातृभाषा के मोह में रहे।
अपनी भाषा का मिठास सबसे मीठा । हिंदी बोलने को लेकर दो छोटी घटनाएं आपके साथ शेयर करती हूँ। यह बात कुछ दिनों पहले की है जब शगुन एक ऐसे देश गयी जहाँ सब अंग्रेजी के पहले अपनी भाषा बोलते है । वो वहाँ पाँच दिन रूकी , हम सब उसके लगातार संपर्क में थे और जब भी नेटवर्क मिलता , हम बात कर लेते। एक फ्लाईट लेकर जब वो टोक्यो पहूँची तो अगली फ्लाईट में समय अंतराल कम होने की वजह से हम चिंतित थे। हम सबने चैन की सांस ली थी जब वो बोर्डिंग की लाइन में लग गयी थी। टोक्यो से दिल्ली तक की 10:35 की फ्लाईट में वो 10:29 पर बैठी और जैसे ही बैठी , उसका पहला मैसेज था कि
"प्लेन भर गयी और सब मस्त हिंदी में बात कर रहे है"
ये होता है अपनेपन का अहसास। उसका सारा तनाव काफूर हो गया ।
दूसरा किस्सा है पहली जनवरी का जब रौनक न्यूयाॅर्क के ईस्काॅन मंदिर में गया और जब वहा एक विदेशी भक्त ने हैलो की जगह " हरे कृष्णा " कहा । वो खुशी से रोमांचित हो गया और मुझे बताया । ये होता है अपनेपन का अहसास, अपनी भाषा का स्वाद।
अब आते है दूसरे बिंदू पर....भाषा की शुद्धता और भाषा के सौंदर्य पर । तो दिलचस्प बात यह है कि आज के दिन मैं एक ऐसी प्रोफाईल से टकराई जो हिंदी की बिंदी है । एक प्यारी सी, सरल सी बच्ची.....जो उतनी सरल, सधी और शुद्ध हिंदी बोलती है कि आप दांतों तले अंगुली दबा लोगे। आप खुद पर संदेह भी कर सकते है कि आप हिंदी बोलते भी है क्या 😄 इस बच्ची का नाम है वर्षा दहिया, जिसे आप यूट्यूब या इंस्टाग्राम पर सुन सकते है ।
विश्व हिंदी दिवस की शुभकामनाएं
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