क्या मिला....ये छोड़िये
खुद क्या किया...ये सोचीये
आज दुपहरी क्रोशिया चलाते हुए एक पोडकास्ट सुना। इतना सकारात्मक कि मेरे पास शब्द नहीं है।
पोडकास्ट में एक व्यक्ति अपने साथ हुए एक दुखद हादसे को यह कहकर परिभाषित कर रहा है कि जो भी होता है अच्छे के लिये होता है ।
इंटरव्यू लेने वाली महिला अभिभूत है और प्रश्न पुछती है कि आप इतने पॉजिटिव कैसे है ? सामने वाला व्यक्ति बोलता है कि अपनी माँ की वजह से ❣️
वो कहते है कि मेरी माँ ने मुझे आत्मनिर्भर बनना सिखाया और वो भी डिग्निटी के साथ। माँ ने हमेशा कहा और विश्वास दिखाया कि तुम सब कुछ कर सकते हो ।माँ बाप का सोचना था कि हमारा बच्चा हमारे बिना अच्छे से जीना सीखे और जिये ।
इंटरव्यू में जो व्यक्ति है , उनका नाम है विक्रम अग्निहोत्री जो कि भारत के पहले बिना बाहों वाले ड्राइविंग लाइसेंसधारी है। उनका मानना है कि बचपन में हुऐ इस एक्सिडेंट को मैं ब्लेसिंग मानता हूँ अगर मेरे भी हाथ होते तो आज मैं भी साधारण जिंदगी जी रहा होता । मैंने अपने आपमे जो क्षमताएं पायी है वो इसी हादसे के बाद पायी है।
इंटरव्यू में वे हर दूसरी बात में अपनी माँ का जिक्र करते है और यह कितनी सच बात है कि माँ एक ऐसा व्यक्तित्व है जो अपने बच्चें को एक सांचा दे देती है जिसमे बच्चा ढल जाता है।
वो दिव्यांग है लेकिन कही से भी उनमे न मलाल है और न ही उनके मन में आज तक ऐसा प्रश्न नहीं उठा कि मेरे साथ ऐसा क्यूँ हुआ ? उनसे पुछा जाता है कि जब अनजाने ही लोग आपसे सहानुभूति दिखा देते है तो आपको कैसा लगता है....बड़ी सरलता से वो कहते है कि आय अलाउ दैम ❣️ मुझे ये बात इतनी अच्छी लगी कि वो चिढ़ते नहीं है, वो लोगों की अच्छाई में विश्वास करते है। वो कहते है कि जब लोग उन्हे खाना खिलाने लगते है तब मैं लोगो को अपनी मदद करने देता हूँ ।
एक जगह वे बताते है कि मेरी माँ ने मुझे अपने हाथ से खाना नहीं खिलाया ताकि मैं खुद खाना सीख सकू। माँ शादी ब्याह में मुझे अपने आप खाने के लिये छोड़ देती थी और मैं अपने हिसाब से मैनेज करता था तब लोग माँ पर अंगुलियां उठाते थे कि ये कैसी माँ है ?
ये सबसे अच्छी सीख है जो मुझे इस एपिसोड से मिली कि कभी भी किसी के व्यवहार को अपने हिसाब से मत आंकना । हर कोई किसी न किसी उद्देश्य को अपने साथ लेकर चल रहा है, आप उसकी मदद नहीं कर सकते , कोई बात नहीं, पर कम से कम उसकी राह का रोड़ा न बने।
विक्रम बताते है कि वो लिमिटलेस है उनकी कोई लिमिट नहीं.... वो सब कुछ कर सकते है। विक्रम ऐसी और भी बातें कहते है जो किसी का भी दिन बना दे।
आज का दिन इस पोडकास्ट के नाम रहा ....इंटरव्यू लेने वाली महिला मेरी बेहद पसंदीदा है ...उनकी आवाज सुनकर ही मजा आ जाता है।
मैं बात कर रही हूँ जिंदगी विथ ऋचा की और ऋचा की ।
दिल से शुक्रिया ऋचा , आप मोहब्बत है।
खुद क्या किया...ये सोचीये
आज दुपहरी क्रोशिया चलाते हुए एक पोडकास्ट सुना। इतना सकारात्मक कि मेरे पास शब्द नहीं है।
पोडकास्ट में एक व्यक्ति अपने साथ हुए एक दुखद हादसे को यह कहकर परिभाषित कर रहा है कि जो भी होता है अच्छे के लिये होता है ।
इंटरव्यू लेने वाली महिला अभिभूत है और प्रश्न पुछती है कि आप इतने पॉजिटिव कैसे है ? सामने वाला व्यक्ति बोलता है कि अपनी माँ की वजह से ❣️
वो कहते है कि मेरी माँ ने मुझे आत्मनिर्भर बनना सिखाया और वो भी डिग्निटी के साथ। माँ ने हमेशा कहा और विश्वास दिखाया कि तुम सब कुछ कर सकते हो ।माँ बाप का सोचना था कि हमारा बच्चा हमारे बिना अच्छे से जीना सीखे और जिये ।
इंटरव्यू में जो व्यक्ति है , उनका नाम है विक्रम अग्निहोत्री जो कि भारत के पहले बिना बाहों वाले ड्राइविंग लाइसेंसधारी है। उनका मानना है कि बचपन में हुऐ इस एक्सिडेंट को मैं ब्लेसिंग मानता हूँ अगर मेरे भी हाथ होते तो आज मैं भी साधारण जिंदगी जी रहा होता । मैंने अपने आपमे जो क्षमताएं पायी है वो इसी हादसे के बाद पायी है।
इंटरव्यू में वे हर दूसरी बात में अपनी माँ का जिक्र करते है और यह कितनी सच बात है कि माँ एक ऐसा व्यक्तित्व है जो अपने बच्चें को एक सांचा दे देती है जिसमे बच्चा ढल जाता है।
वो दिव्यांग है लेकिन कही से भी उनमे न मलाल है और न ही उनके मन में आज तक ऐसा प्रश्न नहीं उठा कि मेरे साथ ऐसा क्यूँ हुआ ? उनसे पुछा जाता है कि जब अनजाने ही लोग आपसे सहानुभूति दिखा देते है तो आपको कैसा लगता है....बड़ी सरलता से वो कहते है कि आय अलाउ दैम ❣️ मुझे ये बात इतनी अच्छी लगी कि वो चिढ़ते नहीं है, वो लोगों की अच्छाई में विश्वास करते है। वो कहते है कि जब लोग उन्हे खाना खिलाने लगते है तब मैं लोगो को अपनी मदद करने देता हूँ ।
एक जगह वे बताते है कि मेरी माँ ने मुझे अपने हाथ से खाना नहीं खिलाया ताकि मैं खुद खाना सीख सकू। माँ शादी ब्याह में मुझे अपने आप खाने के लिये छोड़ देती थी और मैं अपने हिसाब से मैनेज करता था तब लोग माँ पर अंगुलियां उठाते थे कि ये कैसी माँ है ?
ये सबसे अच्छी सीख है जो मुझे इस एपिसोड से मिली कि कभी भी किसी के व्यवहार को अपने हिसाब से मत आंकना । हर कोई किसी न किसी उद्देश्य को अपने साथ लेकर चल रहा है, आप उसकी मदद नहीं कर सकते , कोई बात नहीं, पर कम से कम उसकी राह का रोड़ा न बने।
विक्रम बताते है कि वो लिमिटलेस है उनकी कोई लिमिट नहीं.... वो सब कुछ कर सकते है। विक्रम ऐसी और भी बातें कहते है जो किसी का भी दिन बना दे।
आज का दिन इस पोडकास्ट के नाम रहा ....इंटरव्यू लेने वाली महिला मेरी बेहद पसंदीदा है ...उनकी आवाज सुनकर ही मजा आ जाता है।
मैं बात कर रही हूँ जिंदगी विथ ऋचा की और ऋचा की ।
दिल से शुक्रिया ऋचा , आप मोहब्बत है।
टिप्पणियाँ