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उम्मीद

लाख उजड़ा हो चमन
एक कली को तुम्हारा इंतजार होगा
खो जायेगी जब सब राहे
उम्मीद की किरण से सजा
एक रास्ता तुम्हे तकेगा
तुम्हे पता भी न होगा 
अंधेरों के बीच 
कब कैसे 
एक नया चिराग रोशन होगा
सूख जाये चाहे कितना
मन का उपवन
एक कोना हमेशा बसंत होगा 

टिप्पणियाँ

  1. जी नमस्ते ,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल गुरुवार(०९ ०२-२०२३) को 'एक कोना हमेशा बसंत होगा' (चर्चा-अंक -४६४०) पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है।
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  2. उम्मीद ही जीवन है।
    सुंदर अभिव्यक्ति।
    सादर।

    जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना शुक्रवार १० फरवरी २०२३ के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं।
    सादर
    धन्यवाद।

    जवाब देंहटाएं
  3. सचमुच वसन्त भी शाश्वत है , पतझड़ की तरह. जिस दिन वसन्त न होगा, जीवन में कोई आशा और सौन्दर्य भी न होगा.

    जवाब देंहटाएं

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