मेरी चुप्पी को घमंड
मेरे शब्दों को प्रचंड
बतियाते नयनों को उदंड
और
मधुरता को मनगढ़ंत
समझते है लोग
लेकिन दोष लोगों का नहीं
कमबख़्त .....
हमारी राह से गुजरने वाली हवा की
फ़ितरत ही कुछ ऐसी है ।
मेरे शब्दों को प्रचंड
बतियाते नयनों को उदंड
और
मधुरता को मनगढ़ंत
समझते है लोग
लेकिन दोष लोगों का नहीं
कमबख़्त .....
हमारी राह से गुजरने वाली हवा की
फ़ितरत ही कुछ ऐसी है ।
ये हवा की फितरत है या इस राह का कसूर ...
जवाब देंहटाएंलाजवाब लिखा है ...
धन्यवाद ......बहुत आभार
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