क्या आसान है प्रेम को समझ पाना शायद नहीं.... पर मुश्किल भी नहीं, लेकिन इसकी परिभाषा इतनी गहन बना दी गई है कि साधारण इंसान समझ ही न पाये असल में प्रेम परिभाषाओं के परे है बस महसूस ...
अपने मन के उतार चढ़ाव का हर लेखा मैं यहां लिखती हूँ। जो अनुभव करती हूँ वो शब्दों में पिरो देती हूँ । किसी खास मकसद से नहीं लिखती ....जब भीतर कुछ झकझोरता है तो शब्द बाहर आते है....इसीलिए इसे मन का एक कोना कहती हूँ क्योकि ये महज शब्द नहीं खालिस भाव है