पिछले दिनों एक दिलचस्प किताब पढ़ी.....'मेरा नाम है गौहर जान' यह उन दिनों की बात है जब संगीत इतना सामान्य रूप से उपलब्ध नहीं होता था, संगीत राजघरानों के दरबार की शोभा होते थे और उस पर किसी स्त्री संगीतकार का होना अपने आप में उपलब्धि थी। ग्रामोफोन के आविष्कार के बाद 1902 में रिकॉर्ड की जाने वाली पहली भारतीय आवाज गौहर जान की थी, जिन्होने अपने जीवनकाल में लगभग 600 रिकॉर्डिंग की, लेकिन गौहर जान इस संक्षिप्त परिचय से कही अधिक बड़ी है। उनकी उपलब्धियां विस्तृत है। किताब में गौहर के जीवन को दस्तावेजों के साथ सुत्रबद्ध किया गया है। गौहर के जीवन की छोटी से छोटी कड़ी, सुक्ष्म से सुक्ष्म जानकारी को बटोरकर और कुछ पुराने दुर्लभ चित्रों से इस किताब को सजाया गया है । न केवल नृत्य और संगीत की बात इस किताब में है बल्कि समकालीन संगीतकारों का संक्षिप्त ब्यौरा भी इसमे है। अब आते है गौहर जान पर , जो कि भारतीय माँ और युरोपियन पिता की इकलौती संतान थी। 26 जुन 18...
अपने मन के उतार चढ़ाव का हर लेखा मैं यहां लिखती हूँ। जो अनुभव करती हूँ वो शब्दों में पिरो देती हूँ । किसी खास मकसद से नहीं लिखती ....जब भीतर कुछ झकझोरता है तो शब्द बाहर आते है....इसीलिए इसे मन का एक कोना कहती हूँ क्योकि ये महज शब्द नहीं खालिस भाव है