साल काअंतिम महीना, अंतिम इतवार सोमवार, फिर नयी शुरूआत मेरे इन इतवारों पर बोझ बड़ा है मैं हर काम इतवार पर जो डाल देती हूँ कोई भी काम आज न हुआ चलो, इतवार को करेंगे और मेरा इतवार सारी जिम्मेदारी अपने सिर लेता है आखिर हर आठवें दिन फिर आ जाता है पेंडिग कामों की लिस्ट साथ लिये चलता है शायद साल के पहले इतवार चर्चा की थी मैंने एक साड़ी पेंट करनी थी एक बड़ा सा कैनवास भी इंतजार में था डिक्लटरिंग का वादा भी खुद से था खुद का ख्याल मेरी लिस्ट में सबसे पहले था रेगुलर चेकअपस् की जिम्मेदारी थी परिवार की भागादौड़ी भी साथ थी खाने से जंक हटाना था सुबह सुबह समय से आगे दौड़ना था कुछ रिश्तों की बिगड़ती लय को भी साधना था अब यही लिस्ट लिये खड़ा है इतवार मेरे आगे मैंने भी नजरे मिलाकर कहा गये सारे इतवार मेरे अपने रहे भले कुछ काम पेंडिंग रहे लेकिन जो काम पूरे हुए उन पर गुरूर हुआ छूटे पर भला कैसा मलाल हुआ जंक हटा नहीं पर कम हुआ खाने की प्लेट में सलाद बढ़ा साड़ी न सही पर ब्लाऊज जरूर पेंट हुआ कैनवास बड़ा हो या छोटा चित्र जरूर उभरा यात्राएं बेहद हुई , छूटते रहे नियमित काम फिर भी सु...
अपने मन के उतार चढ़ाव का हर लेखा मैं यहां लिखती हूँ। जो अनुभव करती हूँ वो शब्दों में पिरो देती हूँ । किसी खास मकसद से नहीं लिखती ....जब भीतर कुछ झकझोरता है तो शब्द बाहर आते है....इसीलिए इसे मन का एक कोना कहती हूँ क्योकि ये महज शब्द नहीं खालिस भाव है