दूसरा दिन रात को जल्दी सो जाने से सुबह जल्दी ही आँख खुल गयी, वैसे भी मैं जल्दी उठने वालो में से हूँ। 6 बज चुके थे, मैंने तुरंत उठकर खिड़की का पर्दा हटाया क्योकि रात को कुछ दिखाई न दे रहा था। पर्दा हटाने ही जैसे मैं झूम गयी, मेरे प्रिय पहाड़ जैसे मुझे खिड़की से गुडमोरनिंग कर रहे थे। वे एकदम नजदीक थे और विशालकाय थे। मेरी नजरे उनसे हट ही नहीं रही थी कि सुशील ने याद दिलाया कि हमे 9 बजे निकल जाना है आस पास की जगह देखने। आज के कार्यक्रम में शामिल था गोरसोन बुगयाल और इसे लेकर ही मैं सबसे ज्यादा उत्साहित थी, यह एक 3 किलोमीटर की ट्रैकिंग थी। यहाँ तक जाने के लिये हमे गंडोला में बैठना था जो कि अपने आप में एक रोचक अनुभव होने वाला था। ये गंडोला राइड जोशीमठ से ओली तक जाती है और ये एशिया की दूसरी सबसे लंबी दूरी तय करने वाली राइड है। यूँ तो जोशीमठ और ओली के बीच की दूरी 15 किलोमीटर है पर गंडोला इसे साढ़े चार किलोमीटर में ही पुरी देता है और करीबन 15/20 मिनिट में हम ओली पहुँच जाते हैं। उसी गंडोला से हमे वापस आना होता है। हम दोनो आनन फानन तैयार होकर नाश्ता करने पहुँच गये।
अपने मन के उतार चढ़ाव का हर लेखा मैं यहां लिखती हूँ। जो अनुभव करती हूँ वो शब्दों में पिरो देती हूँ । किसी खास मकसद से नहीं लिखती ....जब भीतर कुछ झकझोरता है तो शब्द बाहर आते है....इसीलिए इसे मन का एक कोना कहती हूँ क्योकि ये महज शब्द नहीं खालिस भाव है