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अप्रैल, 2016 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

भ्रम

इन दिनों मन विचलीत सा है चंचल सा रहने वाला ये मन ना जाने क्युँ बेचैन सा है एक तस्वीर सी उभरती है दिलो दिमाग़ में जो कई सवाल खड़े करती है कुछ गफ़लत सी छाई रहती है कुछ समझ सकूँ  उससे पहले धुँधला जाती है वो तस्वीर असमंजस में हूँ कि परिस्थितियों का एक सिलसिलेवार क्रम है या फिर सिर्फ मेरे मन का भ्रम है  मानती हूँ कि मेरी छठी इन्द्रिय  हैं कुछ ज्यादा ही सक्रिय इसीलिये भ्रम मात्र तो मान नहीं सकती सच हो नहीं सकता कश्मकश में है मन सोच रही हूँ वक़्त पर सब छोड़ दूँ समय की आँधी  धुँधलका हटा देगी और  तस्वीर खुद-ब-खुद साफ़ दिख जायेगी तब तक  ऐ जिन्दगी !  तु और मैं गफ़लत में ही सही थोड़ा जी लेते है।