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दिसंबर, 2013 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

हवा

मेरी चुप्पी को घमंड मेरे शब्दों को प्रचंड बतियाते नयनों को उदंड और मधुरता को मनगढ़ंत समझते है लोग लेकिन दोष लोगों का नहीं कमबख़्त ..... हमारी राह से गुजरने वाली हवा की फ़ितरत ही कुछ ऐसी है ।