आँखें मेरी खुशी से है नम निर्भया के गम कुछ तो हुए होंगे कम माना कि तेरी आत्मा सिसकती है अब भी तेरी माँ की आँखों से आंसू बन के बहती है तु अब भी लेकिन माँ की आँखों में आज तु खुशी बन के उमड़ी है तेरे गुनहगारों को मिली है फांसी अब आगे नहीं बनेगी कोई निर्भया अभागी........ .............देश की न्यायव्यवस्था और मीडिया दोनो को धन्यवाद,यह संदेश है गुनहगारों के लिये ।
अपने मन के उतार चढ़ाव का हर लेखा मैं यहां लिखती हूँ। जो अनुभव करती हूँ वो शब्दों में पिरो देती हूँ । किसी खास मकसद से नहीं लिखती ....जब भीतर कुछ झकझोरता है तो शब्द बाहर आते है....इसीलिए इसे मन का एक कोना कहती हूँ क्योकि ये महज शब्द नहीं खालिस भाव है